scriptकम बजट के कारण जर्जर भवनों में चल रहे हैं ये सरकारी केंद्र | These government centers are running in dilapidated buildings due to | Patrika News

कम बजट के कारण जर्जर भवनों में चल रहे हैं ये सरकारी केंद्र

locationअगार मालवाPublished: Dec 09, 2018 01:06:15 am

Submitted by:

Lalit Saxena

महिला एवं बाल विकास विभाग आज भी पुराने ढर्रे पर संचालित हो रहा है। एक ओर जहां जिला तथा परियोजना दोनों कार्यालय जनपद पंचायत के पुराने जर्जर भवन में संचालित होते हैं

patrika

महिला एवं बाल विकास विभाग आज भी पुराने ढर्रे पर संचालित हो रहा है। एक ओर जहां जिला तथा परियोजना दोनों कार्यालय जनपद पंचायत के पुराने जर्जर भवन में संचालित होते हैं

आगर-मालवा. महिला एवं बाल विकास विभाग आज भी पुराने ढर्रे पर संचालित हो रहा है। एक ओर जहां जिला तथा परियोजना दोनों कार्यालय जनपद पंचायत के पुराने जर्जर भवन में संचालित होते हैं वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों की दिखाई देती है। शहर में अधिकतर आंगनवाड़ी केन्द्र किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। इनके लिए विभाग द्वारा ७५० रुपए प्रतिमाह जारी किए जाते हैं। इतने कम किराए में सिर्फ गली-कूचों में ही छोटे से भवन किराए पर मिलते हैं जिनका पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। यहां पर बच्चे आते भी हैं या नहीं इसकी पड़ताल को निकलने वाले अफसर भी आंगनवाड़ी केन्द्र खोजते ही रह जाते हैं। शहर में संचालित ३३ आंगनवाड़ी केन्द्रों में से करीब ३१ आंगनवाड़ी केन्द्र किराए के भवनों में संचालित हो रहे है।
महिला एवं बालविकास विभाग द्वारा संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र इन दिनों बदहाली के आंसू बहाते हुए दिखाई दे रह हैं। इसका मुख्य कारण विभाग के पास स्वयं के भवन न होना है। ग्रामीण क्षेत्र में तो अधिकतर केन्द्र शासकीय स्कूलों संचालित हो रहे हैं लेकिन शहरी क्षेत्र में स्थिति बेहद चिंताजनक दिखाई देती है। विभाग द्वारा एक केन्द्र के लिए महज ७५० रुपए प्रतिमाह किराए के रूप में जारी किए जाते हैं। इतने कम किराए में एक कमरा भी बमुश्किल मिलता है।
ऐसी दशा में आंगनवाड़ी केन्द्र के लिए अच्छे मकान शहर में उपलब्ध ही नहीं हो पाते हैं। शहर में संचालित ३३ आंगनवाड़ी केन्द्रो में से महज १-२ आंगनवाड़ी केन्द्र शासकीय भवनों में संचालित हो रहे हैं। शेष ३१ आंगनवाड़ी केन्द्र किराए के मकानो में संचालित हो रहे हैं।
गलियों में संचालित हो रहे हैं केन्द्र
विभाग द्वारा जो मकान किराए से लिए गए है उनमें से अधिकांश मकान या तो जर्जर है या फिर गलीकूचों में हैं। ऐसी दशा में आंगनवाड़ी केन्द्र ढूंढना मुश्किल हो जाता है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति अयोध्या बस्ती, मार्केट मोहल्ला, छावनी मस्जिद के पास, यादव मोहल्ला, राममालीपुरा, टिल्लर कालोनी, छोटा गवलीपुरा, अर्जुन नगर, पटेलवाड़ी, लक्ष्मणपुरा, छावनी, मास्टर कालोनी आदि मोहल्लो में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र किराए के भवनो में संचालित हो रहे हैं। किराया कम होने के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी ऐसे ही भवन का चयन करती है जो किराए के अनुपात में मिल जाए। जिला मुख्यालय होने के कारण यहां ७५० रुपए में किराए का एक कमरा भी मिलना मुश्किल हो जाता है फिर भी कहीं न कहीं कच्चा-पक्का मकान तलाश कर वहां आंगनवाड़ी केन्द्र खोल लिया जाता है। शहर के अधिकांश आंगनवाड़ी केन्द्र तो ऐसे स्थानों पर है जहां पर बच्चों को खुला वातावरण तक नहीं मिल पाता है।
पर्याप्त सुविधाएं तक ही नही
किराए के मकानों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों पर समुचित व्यवस्थाओं के अभाव में आने वाले छोटे बच्चों को पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं। अधिकांश आंगनवाड़ी केन्द्र तो १० बाय १० के कमरों में संचालित हो रहे हैं। यदि बच्चों की किसी प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित कर दी जाए तो बच्चों का छोटे से कमरे में प्रतियोगिता में भाग लेना मुश्किल हो जाता है।
रहवासी बोले नहीं करते हैं निरीक्षण
शहर में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रो के संबंध में जब केन्द्रों के आस-पास निवासरत रहवासियों से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हमने तो कभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर जिला अधिकारियों को निरीक्षण करते हुए देखा ही नहीं है। कुछ रहवासियों ने बताया कि हमारे बच्चे स्कूल जाने लग गए हैं, फिर भी उनके नाम आंगनवाड़ी केन्द्रों पर दर्जकर रखे हैं। मनमर्जी से बच्चों के नाम केन्द्रों पर दर्ज हैं।
किराया बढऩे के बनने लगे आसार
जब इस संबंध में महिला बाल विकास विभाग कार्यालय से जानकारी ली गई तो बताया गया कि विभाग द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्र का किराया बढ़ाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आने वाले समय में संभवत: किराए के भवन में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों के किराए में इजाफा की संभावना बताईजा रही है।
समय से नहीं मिलता किराया
जब इस संबंध में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ से चर्चा की गई तो अधिकांश कार्यकर्ताओं ने बताया कि हमे समय से किराया भी नहीं दिया जाता है। बजट के अभाव में किराया समय से नहीं मिलता है जिसके कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सुव्यवस्थित दिखाई दिया एक केन्द्र
छावनी मार्केट मोहल्ले में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र क्रमांक १८ की स्थिति शहर के अन्य आंगनवाड़ी केन्द्रों से बेहतर दिखाई दी। यहां बच्चों में आकर्षण बढ़ाने के लिए तरह-तरह के खिलौने, स्लोगन लिखे पोस्टर एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री दिखाई दी। आंगनवाड़ी केन्द्र में समुचित सफाई देखी गई।
&विभागीय नियमानुसार जो किराया जारी होता है उसमें अच्छे मकान तो नहीं मिल पाते हैं। ऐसी दशा में जो समय पर मिल जाता है उसी में आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। स्थान कम होने के कारण समस्याएं तो निर्मित होती हैं पर अब इस समस्या का समाधान शीघ्र हो जाएगा। शासन से किराया बढ़ाए जाने के संबंध में निर्देश प्राप्त हो चुके हैं। अब जैसा भवन होगा ऐसा किराया निर्धारण हो सकेगा।
दीपक बड़ोले, परियोजना अधिकारी एकिकृत महिला एवं बाल विकास परियोजना आगर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो