अगार मालवाPublished: Jan 20, 2019 12:30:59 am
Lalit Saxena
रेल लाओ अभियान के अंतर्गत रविवार को निकलने वाली जन जागृति रैली में लोगों को जोडऩे के लिए शनिवार को साईं परिवार के सदस्यों ने तनोडिय़ा क्षेत्र में जन जागृति अभियान चलाया।
रेल लाओ अभियान के अंतर्गत रविवार को निकलने वाली जन जागृति रैली में लोगों को जोडऩे के लिए शनिवार को साईं परिवार के सदस्यों ने तनोडिय़ा क्षेत्र में जन जागृति अभियान चलाया।
आगर मालवा. तनोडिय़ा रेल लाओ अभियान के अंतर्गत रविवार को निकलने वाली जन जागृति रैली में लोगों को जोडऩे के लिए शनिवार को साईं परिवार के सदस्यों ने तनोडिय़ा क्षेत्र में जन जागृति अभियान चलाया। मुनादी कर लोगों के जहन में रेल की याद को ताजा किया एवं जिन पुल पुलियाओं से होकर नैरोगेज रेल गुजरा करती थी उन स्थानों पर जाकर लोगों को जानकारियां देते हुए कहा कि आपातकाल के पहले इसी मार्ग से नैरोगेज ट्रेन चला करती थी, लेकिन यह सुविधा क्षेत्रवासियों से छीन ली गई है। इस अवसर पर सतीश शास्त्री, गिरीश नागर, वकील खॉन, सुमन सरकार, तेजसिंह चौहान, पप्पू जोशी आदि उपस्थित थे।
आज निकलेगी जन जागृति रैली
साईं परिवार के आह्वन पर रविवार दोपहर १२ बजे विजय स्तंभ चौराहे से एक रैली निकाली जाएगी जो की शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए वापस विजय स्तंभ चौराहे पर पहुंचेगी। सार्इं परिवार सदस्य प्रशांत भटनागर ने बताया कि रैली का मुख्य उद्देश्य रेल लाइन की मांग को जागृत करना है। जब तक यह जन आंदोलन नहीं बनेगा तब तक हमारे जनप्रतिनिधि नहीं जागेंगे।
रेल आएगी तो होगा औद्योगिक विकास
प्रदेश के नवगठित ५१वें जिले के रूप में अस्तित्व में आए आगर जिले में रेल न होने के कारण एक भी उद्योग स्थापित नही है जिसके कारण जिले के युवा पलायन करने को मजबूर हैं। यदि उज्जैन रामगंजमंडी रेल लाइन स्वीकृत हो जाती है तो उज्जैन जिले के घट्टिया, घोंसला सहित आगर जिले के तनोडिय़ा से लेकर सोयत, डोंगरगांव मप्र की सीमा तक के क्षेत्र विकास की राह पर चल पड़ेगा। वहीं यह क्षेत्र सोर एवं पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल बताया जाता है। क्षेत्र में उद्योगो, कलकारखानों के लिए आवश्यक श्रमिक भी प्रचुर मात्रा में होने से यह क्षेत्रउद्योग स्थापित किए जाने की पूर्णअहर्ता रखता है लेकिन रेल लाइन न होने के कारण यहां कोई उद्योग स्थापित नहीं हो पा रहे है जिससे यह क्षेत्र आज भी विकास के मामलों में पिछड़ा हुआ है।
रेल की पटरियां हुईं गायब
इस नगर ने समय के साथ-साथ जितना पाया है उससे कहीं अधिक खोया भी है। किसी जमाने में आगर-उज्जैन के मध्य नेरोगेज रेल चला करती थी लेकिन यह सौगात भी क्षेत्रवासियों से आपातकाल के दौरान छिन ली गई तब से आज तक रेल लाईन की मांग की जा रही है लेकिन हमेशा क्षेत्रवासियों के साथ छलावा ही हुआ है। जहां रेल की पटरियां हुआ करती थी वहां अब लोगों के आशियाने खड़े हो चुके हंै। जहां रेलवे की इमारतें हुआ करती थी वहां अब भूमाफिया काबिज है। इतिहासकारों के अनुसार १५ मार्च १९३२ को उज्जैन-आगर के बीच ग्वालियर लाइट रेलवे की रेल चलने लगी थी कुछ समय पश्चात इस रेलवे का नाम सिंधिया रेलवे स्टेट हो गया। ग्वालियर रियासत द्वारा पहले नैरोगेज पटरी डाली गई थी। स्वतंत्रता के बाद इस रेल लाइन को सेंट्रल रेलवे में मिला दिया गया था। ५ घंटे में उज्जैन तक का सफर तय करने वाली इस रेल में सफर करना बेहद सस्ता था लेकिन क्षेत्रवासियों का दुर्भाग्य यह रहा कि आपातकाल के दौरान यह रेल लाईन यहां से सदा के लिए चली गई।
कहां गए वादे
आम चुनाव के दौरान हमेशा रेल की सौगात दिए जाने का वादा नेताओं द्वारा किया जाता है लेकिन चुनाव होने के बाद ध्यान नहीं दिया जाता है।२०१४ के लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ इसी प्रकार के वादे नेताओं द्वारा किए गए थे और क्षेत्रवासियों ने वादे के मुताबिक वोट भी दिए और भाजपा प्रत्याशी को भारी वोटों से विजय दिलाई। अब जनता टकटकी लगाकर पूर्व सांसद मनोहर ऊंटवाल से आस लगाए बैठी हैं कि सांसद रह चुके ऊंटवाल आगर विधायक बनने के बाद भी जनता की यह बहुप्रतिक्षित मांग कब तक पूरी कर पाते हैं।