
देखते ही देखते इनके साथ महिलाएं जुडऩे लगी
ग्राम चाचाखेड़ी निवासी साधना पति संतोष शर्मा ने मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन की प्रेरणा से वर्ष 2010 में एक समूह तैयार किया गया और खेती किसानी पर आधारित आर्थिक गतिविधियां की जाने लगी। साधना शर्मा ने अपने समूह में गांव की महिलाओ को प्रेरित कर शामिल किया और कुआं निर्माण, सिंचाई कार्य एवं संतरे की खेती के साथ-साथ उन्नत खेती की ओर अग्रसर होने लगे। देखते ही देखते इनके साथ महिलाएं जुडऩे लगी और कारवां आगे बढ़ता गया। समूह के माध्यम से संतरे की अच्छी पैदावार तो होने लगी लेकिन उचित दाम न मिलने से उत्साह कम था, इसी बीच साधना शर्मा ने हौसले के साथ निर्णय लिया कि संतरे के उचित दाम के लिए ऐसे प्रयास किए जाएं जिससे सभी को मुनाफा होने लगे। इसको समूह की अन्य महिलाओ के समक्ष रखा गया और परामर्श के लिए मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियो से बात की तो कंपनी बनाने का सुझाव मिला।

विषम हालात मेंं समूह को कंपनी मुकाम तक पहुंचाया
सुझाव अनुसार, कंपनी बनाने के लिए 300 किसानो की आवश्यकता थी और सभी किसानो को कंपनी का शेयर होल्डर बनाना था। प्रत्येक किसान से शेयर की राशि भी एकत्रित करना थी पर महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी। वित्तीय प्रबंधन के ज्ञान के बगैर ही महिलाएं मैदान में उतर गई। संतरे की पैदावार करने वाले किसानो से बात की और उन्हे विश्वास दिलाया कि आपको फसल का उचित दाम मिलेगा और मुनाफा भी होगा। किसानो को बात समझ में आने लगी और देखते ही देखते यह समूह कंपनी के रूप में परिवर्तित हो गया जिसका नाम आजीविका ऑरेंज प्रोड्यूसर कंपनी रखा गया। कंपनी के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर की बैठक हुई और गतिविधियों का संचालन आरंभ कर दिया। कंपनी के पंजीयन एवं अन्य शासकीय प्रक्रिया को आजीविका मिशन के अधिकारियो ने पूर्ण कराया।

संतरे की ग्रेडिंग यूनिट बनाई, कई महिलाओं ने पाया रोजगार
आगर जिले में संतरे की पैदावार अच्छी होती है और कंपनी ने संतरे को ही अपना व्यापार का साधन बनाया। जब कंपनी बनी तो भारत सरकार ने संचालन के लिए 9 लाख रूपए का अनुदान जारी किया गया। महिलाओ ने इसका उपयोग संतरा खरीदने के लिए किया और खरीदे गए संतरे की ग्रेडिंग कर एक बड़ी कंपनी से अनुबंध कर लिया। शुरूआती वर्ष में 5 लाख 85 हजार रूपए का कारोबार किया जिसमें 30 हजार रूपए का मुनाफा हुआ। दूसरे वित्तीय वर्ष में कंपनी का टर्न-ओवर 50 लाख पर जा पहुंचा। किसानो के संतरे की ग्रेडिंग के लिए 4 हजार स्क्वेयर फिट में कंपनी के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर सुनिता राठौड़ के नाम से 17 लाख रूपए बैंक से स्वीकृत करा कर यूनिट की स्थापना की गई।

इस तरह महिलाओं का हौसला, सीएम ने की सराहना
- महिलाओं की इस कंपनी के माध्यम से क्षेत्र के अन्य गांवो की महिलाओ को खेतो से संतरा तोडऩा , एकत्रित करना और ग्रेडिंग करने के कार्य में रोजगार दिया गया।
- 8 एवं 9 अप्रेल को भोपाल में आयोजित स्वयं सेवी संस्थाओ के सम्मेलन में इस कंपनी के बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर साधना शर्मा एवं ममता विश्वकर्मा को आमंत्रित किया।
- मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कार्यक्रम के दौरान इनकी सराहना की, महिलाओं ने कंपनी के गठन व अन्य गतिविधि की जानकारी साझा कर ग्रेडिंग यूनिट प्रोसेस बताई।
दो वर्ष पूर्व बनी कंपनी प्रमुख आधार बनी
करीब 2 वर्ष पूर्व ग्राम चाचाखेड़ी की महिलाओ के एक समूह ने कंपनी बनाने की गतिविधि आरंभ की थी। शुरूआती 2 वर्ष में ही महिलाओ की यह कंपनी आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर हो चुकी है, किसी वित्तीय प्रबंधन के ज्ञान के बगैर महिलाओं के उम्दा वित्तीय प्रबंधन से कंपनी का वार्षिक टर्न-ओवर अब 50 लाख रूपए हो चुका है।
- हेमंत रामावत, जिला प्रबंधक मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन
बचत से खुलते गए रास्ते
हम एक साधारण परिवार से आते है हमने गरीबी को बेहद करीब से देखा है, गरीबी दूर करने के लिए बहुत संघर्ष किया। परम्परागत खेती पर ही निर्भर रहते थे, इसी बीच महिलाओं का समूह बनाया और छोटी-छोटी गतिविधि कर बचत आरंभ की। महिलाओं का साथ मिला तो रास्ते खुलते गए और हमने एक कंपनी बना ली, आज हमारी कंपनी में 300 किसान शेयर होल्डर हैं। - साधना शर्मा, बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर आजीविका ऑरेंज प्रोड्यूसर कंपनी