ये है पूरा मामला
हाल ही चारसू गेट, घटिया के रहने वाले 65 वर्षीय मुन्नालाल की एसएनएमसी में मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार लावारिस में करा दिया गया था। मुन्नालाल को कोरोना का संदिग्ध मानते हुए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुजुर्ग के भर्ती होने के बाद परिजनों का उनसे पूरी तरह संपर्क टूट गया। परिजन अस्पताल के चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनका पता नहीं चला।
24 दिन बाद मुन्नालाल के शव का लावारिस में अंतिम संस्कार होने की बात पता चली तो परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। इस घटना पर पुलिस और अस्पताल प्रशासन का तर्क था कि मृतक के परिजन का फोन बंद आ रहा था। इस तरह की समस्या अन्य लोगों के साथ न आए, इसके लिए अब इमरजेंसी और कोरोना के मरीजों के परिजनों से दो नंबर और पूरा पता लेकर फाइल पर लिखा जाने का फैसला किया गया है।
ड्यूटी खत्म होने के बाद कर्मचारी फोन पर बताएंगे हाल
इस मामले में अस्पताल के प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि ड्यूटी खत्म होने के बाद कर्मचारी मरीज के परिजनों को फोन पर उसका हाल बताएंगे। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद परिजनों को बार बार चक्कर नहीं काटने पड़ेगे। सीएमओ डॉ. आर सी पांडे ने मरीजों को भर्ती कराते समय सही और चालू नंबर देने के लिए कहा है।