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उत्तर प्रदेश के 20 शहर, जहां रहवास मानी जाती शान की बात

locationआगराPublished: Jan 05, 2020 06:24:17 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

-जब शहर स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित हो जाएंगे तो रहने का आनंद कई गुना बढ़ जाएगा।
-हर कोई चाहता है कि यूपी के 20 शहरों में से कम से कम एक शहर में तो अपना घर हो

Uttar Pradesh

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आगरा। वर्ष 2019 की विदाई हो चुकी है। नववर्ष (New Year) 2020 का जोरदार स्वागत हुआ है। 2019 में बहुत कुछ बदलाव हुआ। राजनीतिक वादों पर विकास के पहियों की गाड़ी चली, तो वहीं कई शहरों को स्मार्ट सिटी (Smart city) का तोहफा भी मिला। हम बताने जा रहे हैं 2020 के आगमन पर यूपी के उन 20 शहरों के बारे में, जहां रहवास शान मानी जाती है। हर कोई चाहता है कि कम से कम एक शहर में तो घर हो अपना। जो इन शहरों में निवासरत हैं, वे वाकई भाग्यशाली हैं। जब शहर स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित हो जाएंगे तो रहने का आनंद कई गुना बढ़ जाएगा।
1.तहजीब और अदब का शहर लखनऊ

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तहजीब और अदब का शहर है। लखनऊ राजनीति का प्रमुख केन्द्र है, इसे लघु उत्तर प्रदेश भी कहा जाता है। पूरी यूपी के लोग यहां रहते भी हैं और उनका आना जाना भी रहता है। यहां की हवाओं में स्नेह भरा आमंत्रण है। यह दुनिया के उन चुनिंदा शहरों में से एक है जो गोमती नदी के दोनों किनारों पर आबाद है। बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबड़ा हो या चाहे भूलभुलैया या घंटाघर। नवाबी दौर की तमाम इमारतें अब भी तनकर खड़ी पर्यटकों को आमंत्रण देती दिखती हैं। लखनऊ की गलियों के तो क्या कहने, कंघी वाली गली से लेकर बताशे वाली गली तक यहां मौजूद हैं। यूं भी कह सकते हैं कि वह कौन सी गली है जो लखनऊ में मौजूद नहीं।
2.देश की राजधानी की बाहों में खेलता नोएडा

वहीं उत्तर प्रदेश के शहर नोएडा की बात करें, तो यहां की रहवास भी शान मानी जाती है। देश की राजधानी दिल्ली से सटा नोएडा एक उपनगरीय क्षेत्र है। इसका नाम अंग्रेज़ी के New Okhla Industrial Development Authority न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डवेलपमंट अथॉरिटी के संक्षिप्तीकरण से बना है। आधिकारिक नाम गौतमबुद्ध नगर है। ये विभिन्न सेक्टरों में बसा हुआ है। नोएडा में कई बड़ी कंपनियों ने अपने कारोबार की स्थापना की है। यह आईटी, आईटीईएस, बीपीओ, बीटीओ और केपीओ सेवाओं की पेशकश करने वाले बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, बीमा, फार्मा, ऑटो, फास्ट-मूविंग उपभोक्ता वस्तुओं और विनिर्माण जैसे विभिन्न डोमेनों में कंपनियों की पसंदीदा जगह बन रही है। एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक यह शहर बेहतर बिजली-आपूर्ति, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए उपयुक्त वातावरण और कुशल मानव संसाधन क्षमता से लैस शहर है।
3.ताजमहल का शहर आगरा

भारत का ताज, ताजमहल को संजोने वाला आगरा भी बेहद खास है। वैसे तो ताजमहल के कारण ये देशी विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है, लेकिन ताजनगरी कई मुगलिया इमारतों का सुनहरा इतिहास रखता है। ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी विश्वदाय स्मारक हैं। ताजमहल के शहर आगरा की बात करें, तो यहां की रहवास भी शान मानी जाती है। आगरा में 150 वर्ष पूर्व राधास्वामी मत की स्थापना हुई। राधास्वामी मंदिर के आसपास बसा दयालबाग, स्वामीबाग भी खूब आकर्षित करता है। इसके बाद अब आगरा स्मार्ट सिटी की दौड़ में भी शामिल हो चुका है।
4.कृष्ण नगरी मथुरा

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा कनिष्क वंश द्वारा स्थापित नगर है। आज यह धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। मथुरा भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म, दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, कवि रसखान आदि महान आत्माओं से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है। मथुरा को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है। कृष्ण जन्मभूमि देखने दुनियाभर से लोग आते हैं।
5.वृंदावन

उत्तर प्रदेश के मथुरा का एक शहर वृन्दावन बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां घर बनाने की हर किसी की इच्छा रहती है। कई बड़ी हस्तियों के यहां आवास हैं। इसका कारण है कि वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुड़ा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है। यह मथुरा से 16 किमी कि दूरी पर है। यहां पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिरों की विशाल संख्या है। यहां स्थित बांके विहारी जी का मंदिर व राधावल्लभ लाल जी का मंदिर प्राचीन है। इसके अतिरिक्त यहां श्री राधारमण, श्री राधा दामोदर, राधा श्याम सुंदर, गोपीनाथ, गोकुलेश, श्री कृष्ण बलराम मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, निधि वन आदि दर्शनीय स्थान है।
6.देवभूमि प्रयागराज

उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित प्रयागराज को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां हर छह वर्षों में अर्द्धकुंभ और हर बारह वर्षों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिसमें विश्व के विभिन्न कोनों से करोड़ों श्रद्धालु पतितपावनी गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। सन् 1500 की शताब्दी में मुस्लिम राजा द्वारा इस शहर का नाम प्रयागराज से बदलकर इलाहाबाद किया था, जिसे सन् अक्टूबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वापस बदलकर प्रयागराज कर दिया। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा, जहां भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। प्रयागराज में ही आनंदभवन है, जहां स्वतंत्रता की रणनीति बनती थी। चन्द्रशेखर आजाद यहीं शहीद हुए थे।
7.बरेली

भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित बरेली जनपद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक के राष्ट्रीय राजमार्ग के बीचो-बीच स्थित है। प्राचीन काल से इसे बोलचाल में ‘बांस बरेली’ का नाम दिया जाता रहा और अब यह बरेली के नाम से ही पहचाना जाता है। यह उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा महानगर और भारत का 50वां सबसे बड़ा शहर है। बरेली उत्तराखंड राज्य से सटा जनपद है। इसकी बहेड़ी तहसील उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर की सीमा के निकट है। रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर प्राचीन रुहेलखंड का राजधानी मुख्यालय रहा है। देश के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान और भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान इस शहर के इज्जतनगर में बड़े कैम्पस में स्थापित हैं। बॉलीवुड फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा और दिशा पाटनी बरेली से ही हैं। चंदा मामा दूर के…जैसी बाल कविता के रचयिता साहित्यकार निरंकार देव सेवक भी बरेली के ही थे।
8.चित्रकूट

चित्रकूट भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। भारतीय साहित्य और पवित्र ग्रन्थों में प्रख्यात, वनवास काल में साढ़े ग्यारह वर्षों तक भगवान राम, माता सीता तथा श्रीराम के अनुज लक्ष्मण की निवास स्थली चित्रकूट रहा। चित्रकूट एक प्राकृतिक स्थान है जो प्राकृतिक दृश्यों के साथ साथ अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक यहां के खूबसूरत झरने, चंचल युवा हिरण और नाचते मोर को देखकर रोमांचित होता है, तो एक तीर्थयात्री पयस्वनी/मन्दाकिनी में डुबकी लेकर और कामदगिरी की धूल में तल्लीन होकर अभिभूत होता हैं।
9.गोरखपुर

उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित भारत का एक प्रसिद्ध शहर गोरखपुर है। गोरखपुर एक प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्र है, जो बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहां का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त परमहंस योगानन्द का जन्म स्थान भी है। इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे, बौद्धों के घर, इमामबाड़ा,17वीं सदी की दरगाह और हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों का प्रमुख प्रकाशन संस्थान गीता गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन गोरखपुर शहर का रेलवे स्टेशन है। गोरखपुर पीठ के पीठीधीश्वर योगी आदित्यनाथ हैं, जो यूपी के मुख्यमंत्री हैं।
10.झांसी

झाँसी भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह शहर उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है और बुंदेलखंड क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। झाँसी पर प्रारंभ में चन्देल राजाओं का नियंत्रण था। उस समय इसे बलवंत नगर के नाम से जाना जाता था। झाँसी का महत्व सत्रहवीं शताब्दी में ओरछा के राजा बीर सिंह देव के शासनकाल में बढ़ा। इस दौरान राजा बीर सिंह और उनके उत्तराधिकारियों ने झाँसी में अनेक ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया। 17वीं शताब्दी में बुन्देला राजा छ्त्रसाल् ने सन् 1732 में मराठा साम्राज्य से मदद् मांगी। मराठा मदद के लिये आगे आये। सन् 1734 में राजा छ्त्रसाल की मौत के बाद बुन्देला क्षेत्र का एक तिहाई हिस्सा मराठो को दे दिया गया। सन् 1806 मे मराठा शक्ति कमजोर पड़ने के बाद ब्रितानी राज और मराठा के बीच् समझौता हुआ, जिसमे मराठों ने ब्रितानी साम्राज्य का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया। झॉसी के राजा गन्गाधर राव की म्रत्यु हो गयी। तत्कालीन् गवर्नल जनरल ने झॉसी को पूरी तरह से अपने अधिकार में ले लिया। राजा गन्गाधर राव की विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने इसका विरोध किया और कहा कि राजा गन्गाधर राव के दत्तक पुत्र को राज्य का उत्त्तराधिकारी माना जाये, परन्तु ब्रितानी राज ने मानने से इन्कार कर दिया। इन्ही परिस्थितियों के चलते झॉसी में सन् 1857 का संग्राम हुआ, जो कि भारतीय स्वतन्त्र्ता संग्राम के लिये नीव का पत्थर साबित हुआ।
11.मेरठ

मेरठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यह प्राचीन नगर दिल्ली से 72 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है। यहाँ भारतीय सेना की एक छावनी भी है। यह उत्तर प्रदेश के सबसे तेजी से विकसित और शिक्षित होते जिलों में से एक है। महाभारत में वर्णित लाक्षागृह, जो पांडवों को जीवित जलाने हेतु दुर्योधन ने तैयार करवाया था, यहीं पास में वार्णावत (वर्तमान बरनावा) में स्थित था। यह मेरठ-बड़ौत मार्ग पर पड़ता है। रामायण में वर्णित श्रवण कुमार की कहानी भी इस शहर से जुड़ी है। मेरठ को दैत्यराज रावण की ससुराल भी माना जाता है। मेरठ मौर्य सम्राट अशोक के काल में (273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व) बौद्ध धर्म का केन्द्र रहा, जिसके निर्माणों के अवशेष जामा मस्जि़द के निकट वर्तमान में मिले हैं। दिल्ली के बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल, दिल्ली विश्वविद्यालय के निकट अशोक स्तंभ, फिरोज़ शाह तुगलक (1351 – 1388) द्वारा दिल्ली लाया गया था। बाद में यह 1713 में, एक बम धमाके में ध्वंस हो गया, एवं 1867 में जीर्णोद्धार किया गया। 1857 में मेरठ से ही स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ।
12.पीलीभीत

पीलीभीत हिमालय की निचली शिवालिक श्रेणियों के समीप रुहेलखण्ड के पठार के उत्तरी भाग में उत्तराखण्ड राज्य की सीमा के पास स्थित है। इसकी सीमा चीन से मिलती है। पीलीभीत से गोमती नदी निकलती है, जिसके किनारे लखनऊ शहर बसा है। गन्ना उत्पादन और टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध है। टाइगर नेशनल पार्क के कारण यहां रहना शान की बात मानी जाती है। तराई का इलाका होने के कारण यहां के किसान समृद्ध हैं।
13.सीतापुर

सीतापुर जिला नैमिषारण्य तीर्थ के कारण प्रसिद्ध है। यहीं पर सूतजी महाराज ने भागवत कथा सुनाई थी। प्रारंभिक मुस्लिम काल के लक्षण केवल भग्न हिंदू मंदिरों और मूर्तियों के रूप में ही उपलब्ध हैं। इस युग के ऐतिहासिक प्रमाण शेरशाह द्वारा निर्मित कुओं और सड़कों के रूप में दिखाई देते हैं। उस युग की मुख्य घटनाओं में से एक तो खैराबाद के निकट हुमायूँ और शेरशाह के बीच और दूसरी ओर काल्पनिक श्रावस्ती नरेस सुहेलदेव और सैयद सालार के बीच बिसवाँ और तंबौर के युद्ध हैं। जिले के ब्लॉक गोंदलामऊ में चित्रांशों का प्राकृतिक छठा बिखेरता खूबसूरत व ऐतिहासिक गांव असुवामऊ है। इस गांव में शारदीय नवरात्रि के मौके पर सप्तमी की रात भद्रकाली की पूजा पूरी आस्था से की जाती है।
14. वाराणसी

वाराणसी को ‘बनारस’ और ‘काशी’ भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है। बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी विश्वनाथ जग प्रसिद्ध शिव मंदिर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये संसदीय क्षेत्र भी है।
15. अलीगढ़

अलीगढ़ नगर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, तालों और ब्रास ते लिए प्रसिद्ध है। अलीगढ़ प्राचीन नाम से ‘कोइल’ या ‘कोल’ भी कहलाता है। यह दिल्ली के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह शहर ‘नरोरा पावर प्लांट’ से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। अलीगढ़ भारत का 55वां सबसे बड़ा शहर है। इसके पास ही अलीगढ़ नाम का एक क़िला है। कोल नाम की तहसील अब भी अलीगढ़ ज़िले में है। अलीगढ़ नाम ‘नजफ़ खाँ’ का दिया हुआ है। 1717 ई. में ‘साबित खाँ’ ने इसका नाम ‘साबितगढ़’ और 1757 में जाटों ने ‘रामगढ़’ रखा था। उत्तर मुग़ल काल में यहाँ सिंधिया का कब्ज़ा था। उसके फ़्रांसीसी सेनापति पेरन का क़िला आज भी खण्डहरों के रूप में नगर से तीन मील दूर है। इसे 1802 ई. में लॉर्ड लेक ने जीता था। यह क़िला पहले रामगढ़ कहलाता था। अलीगढ़ का प्राचीन नाम हरीगढ़ था।
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16. अयोध्या

अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। यह पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा है। इसे ‘कौशल देश’ भी कहा जाता था। अयोध्या बौद्ध धर्म, हिन्दू धर्म का पवित्र और प्राचीन तीर्थ स्थल में से एक है, जैन धर्म का शाश्वत तीर्थक्षेत्र है। यह सप्त पुरियों में से एक है। वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है, “अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या” और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। यह पुरी सरयू के तट पर बारह योजन (लगभग 144 कि.मी) लम्बाई और तीन योजन (लगभग 36 कि.मी.) चौड़ाई में बसी थी। कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या मूल रूप से मंदिरों का शहर है। यहां आज भी हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम एवं विशेषकर जैन धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं।
17. गाजियाबाद

ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश का एक औद्योगिक जिला है। नगर का नाम ग़ाज़ी-उद्-दीन के नाम पर पडा़ है। दिल्ली से लगा हुआ है। बाद में इसका नाम ग़ाज़ियाबाद हो गया जो प्रयोग में छोटा और सरल था। यहाँ भारत इलेक्ट्रोनिक्स लि० तथा अग्रिम स्तरीय दूरसंचार प्रशिक्षण केन्द्र (ALTTC) स्थित है। 1857-58 के भारतीय विद्रोह, के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल सेना के भारतीय सैनिकों के विद्रोह से शुरु हुई, लड़ाई जो बाद में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक व्यापक विद्रोह में परिणित हो गयी उसी दौरान यह सबसे अधिक उद्देलित स्थानों में से एक बना। हिन्डन नदी पर क़ब्जा़ करने की कोशिश कर रहे स्वतंत्रता सेनानीं एक मुठभेड़ में यहाँ ब्रिटिश सेना की एक छोटी टुकडी़ से हार गये। इस आजादी की पहली लड़ाई ने ग़ाज़ियाबाद को राष्ट्र की मुख्य धारा में ला दिया। गाजियाबाद में रहना शान की बात है।
18. बस्ती

प्राचीन काल में बस्ती के आसपास का जगह कौशल देश का हिस्सा था। शतपथ ब्राह्मण अपने सूत्र में कौशल का उल्लेख किया हैं, यह एक वैदिक आर्यों और वैयाकरण पाणिनी का देश था। राम चन्द्र राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे, जिनकी महिमा कौशल देश में फैली हुई थी, जिन्हें राम राज्य की स्थापना का श्रेय जाता है। परंपरा के अनुसार, राम के बड़े बेटे कुश कौशल के सिंहासन पर बैठे, जबकि छोटे बेटे लव को राज्य के उत्तरी भाग का शासक बनाया गया, राजधानी श्रावस्ती था। इक्ष्वाकु से 93वां पीढ़ी और राम से 30वीं पीढ़ी में बृहद्वल था, यह इक्ष्वाकु शासन का अंतिम प्रसिद्ध राजा था, जो महान महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में मारा गया था। छठी शताब्दी ई. में गुप्त शासन की गिरावट के साथ बस्ती भी धीरे – धीरे उजाड़ हो गया, इस समय एक नए राजवंश मौखरी हुआ, जिसकी राजधानी कन्नौज था, जो उत्तरी भारत के राजनैतिक नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया और इसी राज्य में मौजूद जिला बस्ती भी शामिल था।
19. इटावा

इटावा दिल्ली-कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर स्थित है। इटावा शहर, पश्चिमी मध्य उत्तर-प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। इटावा आगरा के दक्षिण-पूर्व में यमुना (जमुना) नदी के तट पर स्थित है। इस शहर में कई खड्ड हैं। जिनमें से एक पुराने शहर (दक्षिण) को शहर (उत्तर) से अलग करता है। पुल और तटबंध, दोनों हिस्सों को जोड़ते हैं। इटावा में 16वीं शताब्दी में निर्मित जामी मस्जिद है, जिसका निर्माण एक ऊँचे आधार पर पुराने हिन्दू भवनों के अवशेषों से किया गया है। यहाँ हिन्दू मंदिरों से घिरे 15वीं शताब्दी के एक क़िले का अवशेष भी है। इटावा का पुराना नाम इष्टिकापुर कहा जाता है। इटावा मे लायन सफारी है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह इसी जिले के हैं।
20. मुरादाबाद

मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। रामगंगा नदी के तट पर स्थित मुरादाबाद पीतल पर की गई हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसका निर्यात केवल भारत में ही नहीं अपितु अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया आदि देशों में भी किया जाता है। अमरोहा, गजरौला और तिगरी आदि यहाँ के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से हैं। रामगंगा और गंगा यहाँ की दो प्रमुख नदियाँ हैं। मुरादाबाद विशेष रूप से प्राचीन समय की हस्तकला, पीतल के उत्पादों पर की रचनात्मकता और हॉर्न हैंडीक्राफ्ट के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह जिला बिजनौर जिला के उत्तर, बदायूँ जिला के दक्षिण, रामपुर जिला के पूर्व और ज्योतिबा फुले नगर जिला के पश्चिम से घिरा हुआ है।
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