जानकारी के मुताबिक आगरा लाए गए अलगाववादियों का इतिहास समस्या पैदा करने वाला रहा है। भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने के बाद संदेह था कि ये लोग घाटी में समस्या पैदा कर सकते हैं। एहतियातन इन्हें वहां की जेल से देश की अन्य जेलों में शिफ्ट कर दिया गया। अब तक आगरा की जेल में शिफ्ट किए गए कैदियों में कश्मीर हाई कोर्ट बार असोसिएशन के अध्यक्ष मियां कय्यूम व कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी मुबीन शाह भी शामिल हैं। कय्यूम एक जाने-माने वकील हैं और अलगाववादियों की ओर से कई मुकदमे लड़ चुके हैं।
मालूम हो कि आर्टिकल 370 से संबंधित प्रस्ताव संसद में पेश किए जाने से पहले ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था के भारी इंतजाम कर लिए थे, ताकि वहां किसी तरह की समस्या उत्पन्न न हो सके। सोमवार को प्रस्ताव संसद में पेश किया गया, उससे पहले ही रविवार को वहां इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। फोन लाइन, स्कूल-कॉलेज भी बंद थे। सड़कों पर सुरक्षाबल का कड़ा पहरा था। हालांकि शुक्रवार से सभी सरकारी कर्मचारियों को काम पर लौटने का निर्देश दिया गया है, वहीं कुछ जगहों पर स्कूल और कॉलेज भी खुल गए हैं।