ये हैं एससी/एसटी एक्ट के नियम
SC-ST Act अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ होने वाले भेदभाव व अत्याचार को रोकने के लिए वर्ष 1989 में बनाया गया था। जम्मू कश्मीर को छोड़कर ये पूरे देश में लागू है। इस एक्ट के तहत जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होता है। तुरंत गिरफ्तारी होती है। इस तरह के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिलती है। सिर्फ हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकती है। एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती है।
SC-ST Act अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ होने वाले भेदभाव व अत्याचार को रोकने के लिए वर्ष 1989 में बनाया गया था। जम्मू कश्मीर को छोड़कर ये पूरे देश में लागू है। इस एक्ट के तहत जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होता है। तुरंत गिरफ्तारी होती है। इस तरह के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिलती है। सिर्फ हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकती है। एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती है।
इसलिए हो रहा विरोध
दरअसल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए माना था कि इस एक्ट का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही इसके लिए नई गाइडलाइंस जारी की थीं। सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइंस के तहत ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को बचाने के लिए तुरंत मुकदमा दर्ज करने के लिए मना किया गया था। इसको लेकर पहले डीएसपी लेवल के पुलिस अफसर द्वारा का प्रावधान रखा गया था। सात दिनों के अंदर जांच पूरी करने की बात कही गई थी। इसके अलावा ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारी द्वारा अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने की बात थी।
दरअसल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए माना था कि इस एक्ट का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही इसके लिए नई गाइडलाइंस जारी की थीं। सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइंस के तहत ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को बचाने के लिए तुरंत मुकदमा दर्ज करने के लिए मना किया गया था। इसको लेकर पहले डीएसपी लेवल के पुलिस अफसर द्वारा का प्रावधान रखा गया था। सात दिनों के अंदर जांच पूरी करने की बात कही गई थी। इसके अलावा ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारी द्वारा अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने की बात थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दलितों में बहुत गुस्सा था और इसके कारण उन्होंने 2 अप्रेल को देशभर में भारतबंद के नाम पर काफी हिंसा की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने Supreme Court के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की। कुछ दिनों बाद कैबिनेट ने इस SC ST Act में संशोधन कर इसे मूल स्वरूप में बहाल कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद से सवर्णों में काफी नाराजगी है जिसके चलते उन्होंने 6 सितंबर को भारत बंद का आवाह्न किया है। सवर्ण सुप्रीम कोर्ट के संशोधित एक्ट की मांग कर रहे हैं।