गुरुवार के दिन भगवान नारायण और लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। हो सके तो व्रत रखें। पूजन के दौरान पीले वस्त्र धारण करें। भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए। पीले रंग का फूल, पीले कपड़े और पीले चन्दन से भगवान की पूजा करनी चाहिए। चने की दाल और गुड़ का भोग लगाना चाहिए। पूजन के बाद कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। यदि व्रत रखते हैं तो और भी प्रभावकारी रहेगा। व्रत मे केले के पेड़ का पूजन करें। दिन में एक समय ही भोजन करें। नमक न खाएं। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और परिवार में धन धान्य, विद्या, स्वास्थ्य, वैभव किसी चीज की कमी नहीं रहती।
ये उपाय भी कारगर
1. गुरुवार के दिन नहाते वक्त अपने नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करे इसके बाद “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करते हुए केसर का तिलक लगाए और केले के वृक्ष में जल अर्पित हुए उसकी धूप- दीप से पूजा करें।
1. गुरुवार के दिन नहाते वक्त अपने नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करे इसके बाद “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करते हुए केसर का तिलक लगाए और केले के वृक्ष में जल अर्पित हुए उसकी धूप- दीप से पूजा करें।
2. गुरुवार को सूर्योदय से पहले उठें। स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी करें।अगर आपकी कुंडली में गुरु का दोष हो तो हर गुरुवार को शिवजी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। इससे आपको काफी फायदा मिलेगा।
3. अगर आपने व्रत रखा है तो इस दिन केले के वृक्ष की पूजा करके सत्यनारायण की कथा सुनें। 4. गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान करें जैसे कि चने की दाल, सोना, हल्दी, आम आदि।
5. गुरु ब्रहस्पति की मूर्ति या तस्वीर को पीलें रंग के कपड़े पर विराजित करें। साथ ही विधि-विधान से पूजा करें। पूजा में केसरिया चंदन, पीले फूल और प्रसाद में गुड और चनें की दाल चढ़ाएं या इस रंग का कोई पकवान चढ़ाएं।
6. गुरुवार के दिन लेन देन थोड़ा संभलकर करें और अगर कोई इस दिन धन मांगने आता है तो धन देने से परहेज करें। इससे आपका गुरु कमजोर हो जाता है जिससे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
7. बृहस्पतिवार के दिन को लेकर माना जाता है कि इस दिन शरीर पर साबुन लगाना, बाल धोना और कटवाना तीनों ही शुभ नहीं होता। इसके पीछे ज्योतिषिय और वैज्ञानिक दोनों कारण बताए जाते हैं। इससे परहेज करें।
8. बृहस्पतिवार के दिन आप किसी एक गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र इस प्रकार हैं… ॐ बृं बृहस्पतये नमः ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:
ॐ गुं गुरवे नम: ॐ क्लीं बृहस्पतये नम: