688 दुर्घटनाओं में 90 लोगों की मृत्यु आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन (एडीएफ) के सचिव एवं अधिवक्ता के0सी0 जैन को अभी हाल में उ0प्र0 एक्सप्रेसवेज इण्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथॉरिटी (यूपीडा) द्वारा 19 मार्च,2018 को सूचना उपलब्ध कराई गई, जिसके अनुसार माह अगस्त 2017 से 15 फरवरी 2018 तक 688 दुर्घटनाओं में 90 लोगों की मृत्यु हुई है। सूचना में यह भी बताया गया कि इस एक्सप्रेसवे के मुख्य कैरेजवे को हल्के वाहनों के आवागमन हेतु 23 दिसम्बर, 2016 को खोला गया था और टोल 19 जनवरी, 2018 की मध्यरात्रि से लगाया गया।
सुविधाओं पर प्रश्नचिह्न इस प्रश्न का कि इस एक्सप्रेसवे पर कौन-कौन सी सुविधायें कब-कब प्रदान की जानी हैं और कौन-कौन सी सुविधायें उपलब्ध करा दी गई हैं, का उत्तर इस प्रकार दिया है- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे’ के सभी वे साइट एमिनिटीज़ एरिया में पीने का पानी तथा शौचालय की सुविधा उपलब्ध करा दी गयी है तथा फूड ज्वाइन्ट, मोटल, ढाबा, डोरमेटरी, शॉपिंग एरिया, सिटिंग एरिया, सर्विसेज़ (जिसमें रेस्टरूम सम्मिलित है), व्हीकल रिपेयर वर्कशॉप, बाइक व कार पार्किंग, ट्रक पार्किंग, टॉयलेट ब्लॉक्स एवं फ्यूल स्टेशन्स की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु एजेन्सी चयन की प्रक्रिया चल रही है।“ सुविधायें कब प्रदान की जानी हैं, उसकी किसी दिनांक का कोई उल्लेख नहीं है। अभी तो सुविधा देने वाली एजेन्सी को चयन करने की प्रक्रिया चल रही है, चयनित होने के बाद में सुविधा वास्तव में कितने दिन में उपलब्ध होगी, यह प्रश्नचिह्न है।
मरने वालों की संख्या अधिक एडीएफ सचिव केसी जैन ने इस सूचना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि-आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे यमुना एक्सप्रेसवे से भी अधिक खतरनाक सिद्ध हुआ है, जिसमें दुर्घटनाओं और मरने वालों की संख्या यमुना एक्सप्रेसवे से अधिक है, जैसा कि यमुना एक्सप्रेसवे पर हुई दुर्घटनाओं और मृत्यु के आंकड़ों से स्पष्ट है।
यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे व मृत्यु वर्ष हादसे मृत्यु 2012 294 33 2013 898 118 2014 772 127 2015 919 142 2016 1193 128 2017 763 73
(जून तक) नहीं हुआ कोई काम एडीएफ सचिन का कहना है कि इस एक्सप्रेसवे पर एडवान्स्ड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम (ए०टी०एम०एस०) के अन्तर्गत वाहनों द्वारा गति सीमा के उल्लंघन को रोकने के लिये आटोमेटिक नम्बर प्लेट रीडर कैमरे व गति रिकार्डिंग हेतु कैमरे लगाये जाने की कार्यवाही यूपीडा द्वारा अभी तक नहीं की गई है। इस एक्सप्रेसवे पर 140-150 किमी0 प्रति घण्टे की गति से लोग अपने वाहन बेलगाम चलाते हैं, जो अनियंत्रित होकर हादसों का सबब बनते हैं। टायरों के फटने से भी हादसे इस एक्सप्रेसवे पर हुए हैं।
जो कहा, वो नहीं किया सचिव जैन ने यह भी कहा कि यूपीडा के द्वारा इस एक्सप्रेसवे पर एम्बुलेन्स की व्यवस्था के लिए कहा गया था कि वे प्रथम चरण में पांच एम्बुलेन्स की व्यवस्था करेंगे व टोल फ्री हेल्प लाइन नम्बर के डिस्प्ले बोर्ड एक्सप्रेसवे पर शीघ्र लगाये जाएंगे। एडवान्स्ड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम (ए०टी०एम०एस०) के अन्तर्गत यात्रियों के लिए मौसम सम्बन्धी व अन्य चेतावनी प्रदान करने की व्यवस्था मोबाइल एप के द्वारा सुनिश्चित की जायेगी लेकिन वायदों के बाद भी ये व्यवस्थायें अभी तक नहीं की गई हैं। जहां यूपीडा को टोल लगाने की जल्दी थी और उसने 19 जनवरी, 2018 से टोल लगा दिया, वहीं सुरक्षा संबंधी उचित सुविधाओं की व्यवस्था न किया जाना गलत है। इस प्रकरण को आईजीआरएस के माध्यम से भी मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत के रूप में रखा गया था लेकिन कोई सार्थक पहल यूपीडा द्वारा नहीं की गई है।
प्रस्तावित जनसुविधाएं कम प्रस्तावित जनसुविधायें भी कम हैं, जिन्हें इस 302 किमी0 लम्बे एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक तरफ पाँच स्थानों पर होना चाहिए, जो मात्र दो स्थानों पर ही प्रस्तावित की जा रही हैं। एडीएफ का सुझाव कि टोल के साथ एक्सप्रेसवे पर चलने वालों का इन्श्योरेन्स कवर हो, मांग का समर्थन एडीएफ के अध्यक्ष पूरन डावर द्वारा भी किया गया। वाहनों की ओवरस्पीडिंग को रोकने, एम्बुलेन्स की प्रभावी व्यवस्था व जनसुविधाओं को भी तुरन्त उपलब्ध कराये जाने की मांग एडीएफ की ओर से की गई ताकि मानव जीवन बच सके।