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VIDEO: राजनीति के माहिर खिलाड़ी सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल से अटपटे सवालों के चटपटे जवाब, कोई महिला लाइन मारे तो जानिये क्या करेंगे?

locationआगराPublished: May 25, 2019 07:15:40 pm

आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने पत्रिका को दिए पहले साक्षात्कार में अमित शाह, डॉ. रामशंकर कठेरिया के बारे में बताई बातें, अपनी जीत का रहस्य भी बताया

sp singh baghel

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आगरा। ताजमहल के शहर आगरा के सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के पास हर सवाल का जवाब है। वैसे तो वे जलेसर से तीन बार सांसद रहे हैं, लेकिन आगरा का सांसद बनने की बात ही कुछ और है। हर कोई माला पहनाकर सेल्फी लेना चाहता है। एसपी सिंह बघेल की खास बात यह है नए लोगों के जुड़ने के बाद भी वे पुराने साथियों को भूलते नहीं हैं। 20 साल बाद मिलने वालों के नाम भी याद रखते हैं। वे देश के सबसे युवा सांसद रहे हैं। सर्वश्रेष्ठ सांसद का खिताब भी उनके नाम है। उन्होंने www.patrika.com से आगरा के तमाम मुद्दों पर बातचीत की। जब उनसे पूछा गया कि कोई महिला लाइन मारे तो क्या करेंगे, उन्होंने बिना एक क्षण गंवाए हर सांसद के लिए अनुकरणीय जवाब दिया। अपनी कॉलेज लाइफ के बारे में भी रहस्य का खुलासा किया।
पत्रिकाः जीत का रहस्य क्या है?

प्रो.एसपी सिंह बघेलः जीत का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देता हूं, जिनकी वजह से, जिनके व्यक्तित्व से, जिनकी लोकप्रियता की वजह से, जिनकी मेहनत से और केन्द्र सरकार की पांच साल की लोक कल्याणकारी योजनाओं की वजह से जो करोड़ों लाभार्थियों की संख्या इस देश में है उसकी वजह से आज एनडीए की प्रचंड बहुमत से जीत हुई है। इसके साथ ही बूथ अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले पांच साल में परिश्रम की पराकाष्ठा करके अपना पसीना बहाया और अपने पूरे संगठन का पसीना बहलवाया है, वो भी जीत का एक बड़ा कारण है।
पत्रिकाः आपको गांवों के नाम रटे हुए हैं, इसका कारण क्या है?

प्रो.एसपी सिंह बघेलः गांव के नाम मुंहजुबानी याद हैं, इसका कारण ये है कि 21 साल पहले जलेसर से तीन बार सांसद रहा हूं और लगभग प्रतिदिन पांच गांवों का दौरा रोज किया। मैं लोकसभा के सत्र को जनसंपर्क में बाधक नहीं मानता हूं, क्योंकि वहां से तीन घंटों में आया जा सकता है और तीन बजे के बाद कोई महत्वपूर्ण गतिविधियां लोकसभा में नहीं होती हैं। सांसद लोग सत्र का बहाना बनाते हैं, न तो संसद में बोलते हैं और न ही क्षेत्र में जाते हैं। अपने संसदीय कार्यकाल में तीन लोकसभा, राज्यसभा थीं, मैं केवल 23 रात दिल्ली में रुका हूं। जबकि अकसर देखा गया है कि सांसद लोग महीने में 23 दिन दिल्ली में रहते हैं।
पत्रिकाः पहली प्राथमिकता आपकी क्या होगी?
प्रो.एसपी सिंह बघेलः पहली और आखिरी कुछ भी नहीं होती है। ये निर्भर करता है आपका बजट क्या है, आपकी निधि क्या है। फिर आगरा की बात की जाये, तो यहां बैराज नहीं है। आगरा में ही नहीं, पूरे देश में पेयजल की भीषण समस्या है। आगरा का बिचपुरी सर्वाधिक भूजलगर्भ दोहन वाला ब्लॉक है। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक इस ब्लॉक में पानी निकाला जाता है। बैराज से गिरता हूआ भूजलस्तर उठेगा। इस समस्या से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह है कि जब मैं पुलिस में थे, तो अमूमन आगरा से अपने तबादले की एप्लीकेशन में लिखते थे, कि यहां का पानी उन्हें सूट नहीं कर रहा है। अन्य कारणों से आगरा अच्छा रहा होगा, लेकिन वे आगरा की तुलना में मैनपुरी जाना पसंद करते थे। दूसरा एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी होनी है। जेवर में हवाई अड्डा स्वीकृत है, इंटरनेशनल एयरपोर्ट की लड़ाई अब आगरा हार चुका है। हम प्रयास करेंगे, लेकिन जब इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर विश्व का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है, यहां से डेढ़ घंटे का रास्ता है। इसके लिये सरकार कुछ भी निर्णय करे, लेकिन आगरा के सांसद के नाते प्रयास रहेगा कि आगरा की एयर कनेक्टिविटी के लिये प्रयास करूं। इसके साथ ही आगरा के लिये एक अच्छा स्टेडियम भी चाहिये। इसके अलावा हाईकोर्ट खंडपीठ की मांग भी है, इसके लिये भी प्रयास रहेगा।
पत्रिकाः जीत में पत्नी मधु बघेल का कितना योगदान है।
प्रो.एसपी सिंह बघेलः इस जीत में पत्नी का 100 फीसद सहयोग रहा। पुलिस, पत्रकारिता और राजनीति करने वालों का कार्य करने का समय 24 घंटे का होता है, वो पत्नी के सहयोग के बिना संभव नहीं है।
पत्रिकाः इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
प्रो.एसपी सिंह बघेलः इस चुनाव में इतना बड़ा मार्जन था कि चुनौती थी नहीं, लेकिन गठबंधन एक चुनौती था। उसको स्वीकार करना चाहिये, लेकिन ड्राइंग रूम में किया गया गठबंधन फील्ड में पूरा वोट ट्रांसफर कर नहीं पाये। क्योंकि इस गठबंधन से मतदाताओं और कार्यकर्ताओं में संदेश गया था कि ये हमारे लिये नहीं हुआ है। ये देश के लिये गठबंधन नहीं हो रहा है, ये अस्तित्व बचाने के लिये गठबंधन हो रहा है। इसके बाद जो टिकट दिया गया, वो बाहरी प्रत्याशियों को। इसलिये स्थानीय कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह नहीं था।
पत्रिकाः पांच गांव जाने का रोज का रिकॉर्ड है, क्या अब आगरा में भी पांच मोहल्ले रोज भ्रमण करेंगे।

प्रो.एसपी सिंह बघेलः जो भी समय है, वो क्षेत्र के लिये है। मैंने जो आखिर छुट्टी मनाई थी, वो 1999 में दुधवा नेशनल पार्क में परिवार के साथ तीन दिन के लिये गया था। इसके बाद से छुट्टी नहीं ली है। आज तक आगरा के किसी भी पंच सितारा होटल में परिवार के साथ लंच या डिनर करने के लिये नहीं गया हूं। क्योंकि मेरे लौटने का समय रात को एक से दो बजे का होता है और उस समय परिवार ये चाहता है कि मैं उनके साथ रहूं।
पत्रिकाः आगरा का पॉल्यूशन बड़ी समस्या, निदान के लिये क्या करेंगे?
प्रो.एसपी सिंह बघेलः प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी रखने का भी प्रयास किया है। पॉल्यूशन, वाटर हार्वेस्टिंग, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन पर्त ये राजनीत के अंदर नहीं होते थे। राजनीति में होता था,अपनी पार्टी की तारीफ, दूसरों की बुराई, तुलनात्मक बातों को लेकर राजनीत होती थी। नई पीढ़ी आ गई है, और नई पीढ़ी एक दिन ये भी पूछेगी घोषणापत्र में वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में क्या राय है, ग्लोबल वार्मिंग में आपकी पार्टी क्या करना चाहती है, ओजोन लेयर पर आपके प्रयास क्या होंगे। ये हमने पढ़ा है, आज बच्चे जानते हैं, वॉटर पॉल्यूशन क्या, एयर पॉल्यूशन क्या है, साउंड पॉल्यूशन है। आगरा में आने वाले जो हजारों वाहन होते हैं, उससे धुंआ ज्यादा हो रहा है। फैक्टरी तो हैं नहीं हैं, गैस पर आधारित सब चल रहा है। एनजीटी ने आगरा पर जो तमाम प्रतिबंध लगा रखे हैं। एक रिंग रोड आगरा के लिये हो जाये, यहां स्टे नहीं होता है, पासआउट हो जाते हैं। उनका पॉल्यूशन ज्यादा है। अब तो यहां एक भी जनरेटर नहीं चल रहा है, एक समय वो था, जब आगरा में थोड़ा भी आदमी पैसे वाला होता था, तो उसके यहां जनरेटर होता था। उस समय पॉवर कट ज्यादा हुआ करती थी, लेकिन आज ऐसी स्थिति नहीं है।
पत्रिकाः कॉलेज लाइफ में प्यार की कभी बातें हुईं।

प्रो.एसपी सिंह बघेलः कभी नहीं हुईं। हमारा वो जमाना था, कि मैं सांइस स्टूडेंट था। जब बीएससी में था, तो क्लास में पांच लड़कियां थीं। मैं ही नहीं मेरी क्लास के किसी भी लड़के ने किसी लड़की से ये भी बात नहीं की थी कि आपकी पढ़ाई कैसी चल रही है। कस्बाई संस्कृति से आया हूं। छोटे से कस्बे की लड़कियां थीं, वो या तो भाई कहती थीं, या उनके पिता से संबंध हैं, कोई न कोई रिश्ता होता था उनसे। कोई भी जाति हो, कोई फर्क नहीं पड़ता था। छुआछूत था, लेकिन शिष्टाचार भी बहुत था।
पत्रिकाः सड़क पर खड़े होकर कभी चाट-पकौड़ी खाने का मन करता है।

प्रो.एसपी सिंह बघेलः मन नहीं करता, बल्कि खाता हूं। सेंट जोंस पर खड़े होकर बीसियों वबार खाये हैं। राजू डोसा वाले के यहां डोसा खाया है। इसके अलावा मेरा एक बड़ा प्रशंसक है, वो नारियल पानी बेचता है, मैं वहां अकसर उसकी ठेल पर खड़े होकर नारियल पानी भी पीता हूं।
पत्रिकाः आज के समय में कोई महिला लाइन मारे तो क्या करेंगे।
प्रो.एसपी सिंह बघेलः समझाना पड़ेगा उनको, क्योंकि आप पॉवरफुल हैं, आप मिनिस्टर हैं, आप एमएलए हैं, आप सांसद हैं, ये स्वाभाविक प्रक्रिया है, हमें खुद को ध्यान रखना है, क्योंकि जिसका व्यक्तिगत जीवन अच्छा नहीं है, उसका सार्वजनिक जीवन अच्छा नहीं हो सकता है। हम रोल मॉडल होते हैं। उदाहरण देते हुये बताया कि क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी के लंबे बाल देखकर, बहुत से युवाओं ने लंबे बाल रखना शुरू कर दिये और जब धोनी ने बाल कटाये, तो बारबर की शॉप पर लाइन लग गई। रोल मॉडल को कॉपी किया जाता है, इसलिये हमारा व्यक्तिगत जीवन अच्छा होना बेहद जरूरी है।
पत्रिकाः सांसद को कुछ पैसे वाले लोग घेर लेते हैं, उनसे बचने के लिये क्या करेंगे।

प्रो.एसपी सिंह बघेलः मैं चार बार सांसद रहा। अभी उत्तर प्रदेश सरकार का कैबिनेट मंत्री हूं। इस घेराव से बचा हूं। ये पांचवीं बार एमपी बनना, कोई एमपी प्लस नहीं हो रहा है, कि अलग से कोई स्टार लग गया है। घेरेंगे आपको लोग, ठेकेदार, प्रतिनिधि बनने वाले घेरेंगे, आपको थाने, कचहरी वाले घेरेंगे और इससे जो बच गया, वो सर्वाइव करेगा। घेरने में कोई दिक्कत नहीं हैं, अच्छी छवि वाले लोग घेर लें, क्या दिक्कत है, जिनकी समाज में एक पहचान हो। लेकिन ऐसे लोग आपको घेरेंगे, जिनकी समाज में अच्छी छवि नहीं हैं, तो इसका खामियाजा भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि एक खास बात ये है कि मैं जितनी बार सांसद रहा, मेरा कोई प्रतिनिधि नहीं रहा। मैं खुद हाजिर रहूंगा, मेरा मोबाइल खुला रहेगा, कोई भी बात कर सकता है।
पत्रिकाः मुलायम सिंह और मायावती के बाद अब अमित शाह के साथ काम कर रहे हैं, क्या इनमें कोई बुराई आपको लगती है।

प्रो.एसपी सिंह बघेलः कोई बुराई करनी भी नहीं चाहिये, लेकिन जाति की राजनीति इन लोगों ने की है। मोदी जी ने जाति की राजनीति नहीं की। जाति की राजनीति का हश्र सभी ने देख लिया। जाति की राजनीति अच्छी नहीं होती है, क्योंकि जब आप चुने जाते हैं, तो उस समय किसी पार्टी के होते हैं और चुनने के बाद किसी राज्य के और राष्ट्र के होते हैं।
पत्रिकाः डॉ. रामशंकर कठेरिया से कब दोस्ती होगी।
प्रो.एसपी सिंह बघेलः न तब लड़ाई थी और न अब लड़ाई है। सांसद ने शायराना अंदाज में कहा कि दुश्मनी लाख करो, मगर इतनी गुंजाइश रहे, फिर कभी हम दोस्त बनें, तो शर्मिंदगी न हो और दुश्मनी का सफर कदम दो कदम, तुम भी थक जाओगे, हम भी थक जायेंगे और अंत में अल्ला मेरे दुश्मनों को लंबी उम्र दे, वरना मेरे मरने की दुआ कौन करेगा।
पत्रिकाः क्या आप आस्तिक हैं?
प्रो.एसपी सिंह बघेलः बचपन से ही आस्तिक हूं और सभी धर्मो में विश्वास रखता हूं, मेरा पेंशन है, मेरी भूख है, एक तरफ कोई पेरिस की टिकट दे, और एक तरफ तिरुपति बालाजी की, या वैष्णो देवी को तो मैं वैष्णो देवी जाना या बालाजी जाना पसंद करूंगा।
पत्रिकाः आगरा के लिये कोई कार्य योजना?
प्रो.एसपी सिंह बघेलः सड़क, गरीब लोगों के लिये सोडियम लाइट हो जाये, पानी की व्यवस्था हो जाये, नाली बन जाये, तो वही उनके लिये ताजमहल है।

पत्रिकाः आगरा के लिये कोई संदेश?
प्रो.एसपी सिंह बघेलः आगरा की जनता के लिये बहुत-बहुत आभार। जिन आंकाक्षाओं के साथ उन्होंने मुझे चुना है और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोबारा ताज पहनाने का काम किया है, उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर खरा उतरूंगा।

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