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आह ताज, मीनारें टूटीं, कंगूरे बिखरे, जालियां भी न झेल सकी 124 किमी रफ्तार का तूफान

locationआगराPublished: May 30, 2020 04:45:51 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

दो साल में आए तीन तूफान से ताजमहल घायल

आह ताज, मीनारें टूटीं, कंगूरे बिखरे, जालियां भी न झेल सकी 124 किमी रफ्तार का तूफान

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आगरा. मोहब्बत की बेमिसाल इमारत ताजमहल को देखने के बाद हर दीवाने की मुंह से सिर्फ ‘वाह ताज’ निकलता है। हर साल करीब 65 लाख पर्यटक ताजमहल को देखने आते हैं। पर लगता है कि ताजमहल को किसी की नजर लग गई है। दो साल में आए आंधी-तूफान से ताजमहल तीसरी बार बुरी तरह से ‘जख्मी’ हो गया है। शुक्रवार को 124 किमी की रफ्तार से आए तूफान का सामना ताजमहल न कर सका और उसके मुख्य गुम्बद के प्लेटफार्म की जालियां भरभरा कर गिर गईं। जालियों के कई टुकड़े यमुना नदी की ओर गिर गए। इसके अलावा पूर्वी गेट और पश्चिमी गेट की ओर टर्न स्टाइल गेट के ऊपर लगे शेड जमीन पर औंधे मुंह आ पड़े। अप्रैल वर्ष 2018 का दिन भी ताज के लिए अच्छा नहीं था। उस दिन 130 किमी प्रतिघंटा की गति से तूफान आया था। जिसमें शाही दरवाजे का स्तंभ गिर गया और कंगूरे कांच की मानिंद बिखर गए थे। फिर मौसम की मार यहीं नहीं रुकी उसी साल पांच मई को आए तूफान से ताज के मुख्य ढांचे को जबरदस्त नुकसान हुआ। ताजमहल की दो मीनारें हिल गई थीं। मीनारों की खिड़की का पल्ला भी टूट दूर जा पड़ा था। लगातार मौसम की वजह से हो रहे इन नुकसानों को देख ताजप्रेमी चिंतित हैं। सरकार और प्रशासन भी ताज को बचाने की जुगत लड़ाने में जुट गए हैं।
ताजमहल आगरा में यमुना नदी के दक्षिण तट पर सफेद संगमरमर का मकबरा है। वर्ष 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी दिलअजीज पत्नी मुमताज महल के लिए इस मकबरे की शुरुआत की थी। मकबरे का निर्माण अनिवार्य रूप से वर्ष 1643 में पूरा किया गया था पर कुछ अन्य जरूरी कामों की वजह से इसका निर्माण कार्य 10 वर्ष और चला। आज ताजमहल विश्व के सात अजूबों में शुमार है।
आह ताज, मीनारें टूटीं, कंगूरे बिखरे, जालियां भी न झेल सकी 124 किमी रफ्तार का तूफान
124 किमी की रफ्तार के आगे बिखरा :- उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को तूफान और बारिश से काफी नुकसान हुआ। आगरा में मौसम का मिजाज बुरी तरह बिगड़ा गया। 124 किलोमीटर की रफ्तार से आए तूफान ने शहर और गांवों में भारी नुकसान पहुंचा। इस तूफान से ताजमहल के मुख्य गुम्बद के प्लेटफार्म की जालियां गिर गईं। जाली के कई टुकड़े यमुना नदी की ओर गिर गए। मुख्य मकबरे की संगमरमर की रेलिंग और चमेली फर्श की रेड सैंड स्टोन की रेलिंग टूट गई। अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि शुक्रवार को आए तूफान में ताजमहल के मुख्य गुंबद की जालियों के कुछ पत्थर गिरे हैं।
68 दिन से बंद है ताजमहल :- इस वक्त प्रदेश में लॉकडाउन चल रहा है, रविवार को लॉकडाउन 4.0 खत्म हो जाएगा। और फिर नई छूट और नई बंदिशों के बीच एक नया लॉकडाउन शुरू हो सकता है। अपने पूरे इतिहास में ताजमहल पिछले 68 दिन से बंद है। ताजमहल में हर साल करीब 65 लाख पर्यटक आते हैं। एंट्री फीस से ही 14 मिलियन डॉलर की कमाई होती है। एक विदेशी पर्यटक को एंट्री के लिए 1100 रुपए देने होते हैं।
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वर्ष 2018 में पहुंचाया नुकसान:- ताजमहल पर बारिश, आंधी और तूफान का कहर 11 अप्रैल वर्ष 2018 को भी आया था। जिसने ताजमहल को भारी नुकसान पहुंचाया था। शाही दरवाजे का स्तंभ और कांच के कंगूरे गिर गई थी। इस दिन 130 किमी प्रतिघंटा की गति से तूफान आया था। रॉयल गेट का गुलदस्ता पिलर, दक्षिणी गेट का गुलदस्ता पिलर, दिव्यांगों के लिए बनाई गई रैम्प, सरहिंदी बेगम के मकबरे में गुलदस्ता आदि को भी नुकसान पहुंचा था।
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ताज के मुख्य ढांचे को नुकसान :- इसी साल पांच मई को आगरा में फिर तूफान आया, जिससे ताजमहल की दो मीनारें हिल गई थीं। यह पहली बार हुआ कि ताज के मुख्य ढांचे को नुकसान पहुंचा था। एएसआई के अनुसार ताज की मीनारों की खिड़की का पल्ला भी टूट गया था।
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