scriptसंतान की दीर्घायु के लिए ऐसे करें अहोई अष्टमी का व्रत, जानिए व्रत विधि, पूजा का समय व कथा की पूरी जानकारी | Ahoi Ashtami 2019 date mahatav vrat vidhi shubh muhurat and katha | Patrika News

संतान की दीर्घायु के लिए ऐसे करें अहोई अष्टमी का व्रत, जानिए व्रत विधि, पूजा का समय व कथा की पूरी जानकारी

locationआगराPublished: Oct 19, 2019 05:54:16 pm

Submitted by:

suchita mishra

ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं अहोई अष्टमी से जुड़ी अहम जानकारी।

ahoi_ashtami

ahoi_ashtami

21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का त्योहार है। इस दिन अहोई माता यानी पार्वती मां का व्रत रखा जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत भी करवाचौथ की तरह ही निर्जल रखा जाता है। व्रत रखकर मां अपनी संतान की दीर्घायु की माता पार्वती से प्रार्थना करती है। आइए इस मौके पर ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं इस व्रत से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण बातें।
यह भी पढ़ें

संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी के दिन दंपति इस कुंड में करें स्नान, पूरी होगी मनोकामना!

ये है व्रत विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इस दिन माता पार्वती का पूजन किया जाता है। पूजन के लिए अहोई माता यानी पार्वती माता का दीवार पर गेरू से चित्र बनाएं। प्रदोष काल में पूजन करें। सबसे पहले अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें, उन्हें दूध भात अर्पित करें। सामग्री में एक चांदी या सफ़ेद धातु की अहोई ,चांदी की मोती की माला, जल से भरा हुआ कलश , दूध-भात,हलवा और पुष्प, दीप आदि रखें। हाथ में गेंहू के सात दाने और कुछ दक्षिणा लेकर व्रत कथा पढें या सुनें। कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेंहू के दाने व दक्षिणा सास को या किसी अन्य बुजुर्ग महिला को देकर उनका आशीर्वाद लें। पूजन के दौरान करवाचौथ में प्रयुक्त किए करवे में भी जल भरकर रखें। शाम को तारों को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें। करवे के जल को दिवाली के दिन पूरे घर में छिड़कें। चांदी की माला को दिवाली के दिन निकालें और जल के छीटें देकर सुरक्षित रख लें।
पूजा का शुभ मुहूर्त
शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक।

व्रत कथा
प्राचीन काल में एक साहुकार के सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और ननद मिट्टी लाने जंगल गईं। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी। स्याहू की बात से डरकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक एक कर विनती करती है कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं। इसके बाद उसने पंडित को बुलवाकर कारण पूछा तो पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी। सेवा से प्रसन्न सुरही उसे स्याहु के पास ले जाती है। इस बीच थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं। अचानक साहुकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है। वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो