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आगरा

योगी आदित्यनाथ की जांच से भी नहीं आई कोई आंच अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट को मिली हरी झंडी

अखिलेश सरकार का ड्रीम प्राजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे निकला बिलकुल साफ सुथरा।

आगराNov 28, 2017 / 04:21 pm

धीरेंद्र यादव

आगरा। समाजवादी पार्टी सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे बनवाया था। अखिलेश यादव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था। इसके लिए हुए 160 बैनामों को प्रशासन ने हरी झंडी दिखा दी है। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 302 किमी लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की जांच के आदेश दिए थे। शासन ने इसकी जांच के आदेश दिए थे, जिसमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है। इन बैनामों की सात बिंदुओं पर जांच की गई थी। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के जमीन अधिग्रहण में बड़े घोटाले की आशंका जताई गई थी।
160 बैनामे निकले सही
सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद आगरा के साथ फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, हरदोई, कानपुर नगर, उन्नाव और लखनऊ जिले में परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के मालिकों के बारे में पड़ताल कराई गई। आगरा जिले में ऐसे 160 बैनामा थे। पिछले कई महीनों से इनकी जांच चल रही थी, इसमें सदर तहसील अंतर्गत 17 और फतेहाबाद तहसील अंतर्गत 143 बैनामा थे। एडीएम, भूमि अध्याप्ति नगेंद्र शर्मा ने बताया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के 160 बैनामों की जांच कर ली गई है, इनमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। इसकी रिपोर्ट प्रशासन ने उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

इस जमीन का किया गया था अधिग्रहण
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे बिलकुल साफ सुथरा निकला है। इस एक्सप्रेस वे के लिए आगरा में 371.7639 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। फतेहाबाद तहसील अंतर्गत 24 गांवों में 276.0208 हेक्टेयर और सदर तहसील अंतर्गत आठ गांवों में 95.7431 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था।

इन बिंदु पर हुई थी जांच, ये देखिए क्या आई रिपोर्ट
1. क्या संबंधित क्रेता- विक्रेता को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना के संरेखण की जानकारी क्रय-विक्रय के पूर्व थी।
आख्या: सभी को परियोजना के संरेखण की जानकारी थी। विक्रेताओं से सहमति पत्र भी भरवाए गए हैं।
2. क्या क्रेता- विक्रेता स्थानीय निवासी और कृषक हैं।
आख्या: विक्रेता स्थानीय कृषक थे। क्रेता शहरी थे और कृषक नहीं थे।
3. क्या क्रेता- विक्रेता की आर्थिक स्थिति उपरोक्त भूमि को क्रय करने लायक विक्रय की तिथि को थी।
आख्या: सभी की आर्थिक स्थिति जमीन खरीदने लायक थी।
4. विक्रेता द्वारा भूमि विक्रय के पश्चात प्राप्त धनराशि का उपयोग किस प्रकार किया गया है अथवा वह धनराशि उसके खाते में शेष है।
आख्या: विक्रेताओं ने धनराशि का प्रयोग बैंक ऋण चुकता व कृषि भूमि खरीदने में किया गया। खाते में अवशेष धनराशि के संबंध में खातेदारों ने बताने से इनकार कर दिया।
5. क्या ऐसी भी संभावना है कि कतिपय अन्य लोगों ने संबंधित क्रेता को भूमि क्रय करने के लिए किसी अन्य उद्देश्य से धनराशि उपलब्ध कराई गई हो।
आख्या: ऐसी संभावना नहीं है।
6. क्या किसी क्रेता द्वारा 12.50 एकड़ से अधिक भूमि क्रय की गई।
आख्या: ऐसा कोई क्रेता नहीं है।
7. उपरोक्त संरेखण के अनुसार आवश्यक भूमि के अतिरिक्त क्या ऐसी भूमि भी क्रय की गई है, जो परियोजना के लिए आवश्यक नहीं थी, यदि ऐसा है तो उसका पूर्ण विवरण दिया जाए।
आख्या: ऐसी भूमि क्रय नहीं की गई है, जो परियोजना के लिए आवश्यक नहीं थी।
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