मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र झालावाड़ में इस स्थिति से संविदा कर्मी भी परेशान हैं और स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। अब उन्हें इस वर्ष के बजट से ही उम्मीद है कि उनकी ओर भी सरकार का ध्यान जाए।
एसआरजी व मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं को देखें तो यहां करीब १०० से अधिक चिकित्सक व करीब तीन दर्जन से अधिक कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हैं। वहीं ५५० कर्मचारी एक प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से लगे हुए हैं। वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में एनआरएचएम के २५० जबकि २०० कर्मचारी पूरे जिले में प्लेसमेंट के जरिये लगे हुए है।
इसी तरह मिनी सचिवालय स्थित कलक्ट्री कार्यालय के राजस्व विभाग में ३, सहायता में १, पीजी सेल १ संविदा का कर्मचारी कार्य संभाल रहा है। वहीं पीआरओ कार्यालय में २, जिला रसद कार्यालय में ३, जिला परिषद में भी मनरेगा के करीब ५ दर्जन, जिला कोष कार्यालय में ४ कर्मचारी संविदा पर कार्यरत है। इतनी अधिक संख्या में कर्मचारियों के संविदा पर कार्यरत होने के कारण यहां व्यवस्थाएं संविदा कर्मचारी ही संभाल रहे है।
पढ़ाने वाले भी ठेके पर जिले में राजकीय स्नातकोत्तर व कन्या महाविद्यालय में वर्ष २००० से कम्प्यूटर विषय पढ़ाया जा रहा है लेकिन अभी तक स्थायी व्याख्याताओं के नहीं मिलने से हर वर्ष छात्रों की पढ़ाई बाधित होती है। परीक्षा के कुछ ही महीने पहले में संविदा पर कर्मचारी लगाकर खानापूर्ति कर ली जाती है। वहीं कई विषयों के व्याख्याताओं के भी पद रिक्त हैं।
स्कूल स्तर पर भी यही हाल राजकीय स्कूलो में भी कई शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। यहां व्याख्याता, वरिष्ठ व्याख्याता, शिक्षक व ऑपरेटर, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आदि संविदा के भरोसे चल रहे हैं। इसके चलते कई बार लोगों के काम भी समय पर नहीं हो पाते हैं। वहीं विद्यार्थियों का कोर्स भी समय पर पूरा नहीं हो पाता है।
होती है परेशानी संविदा पर कर्मचारियों के पद होने के कारण कार्य में परेशानी तो होती है। वहीं कई बार बरसों से कार्यरत कर्मचारियों के चले जाने के बाद इन पर संविदा कार्मिकों के लगे होने से कार्य में देरी हो जाती है। सरकार को चाहिए कि इन पदों पर स्थायी नियुक्ति करें इससे लोगों को कार्य में परेशानी नहीं हो।
यह है पेंच जानकारों के मुताबिक सरकार द्वारा इन कार्मिकों को स्थायी नियुक्ति प्रदान करने के बाद सभी तरह के सरकारी भत्ते व अन्य सुविधाएं व न्यूनतम बेसिक सैलेरी दी जाएगी जबकि वर्तमान में संविदा पर कार्यरत कार्मिकों को सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय के अलावा और कुछ भी सुविधाएं प्राप्त नहीं है।
तकनीशियन भी संविदा पर राजकीय पॉलीटेक्निक महाविद्यालय बनने के बाद से लेकर यहां अभी तक वैल्डर, फिटर, कम्प्यूटर जैसी ब्रांचों में स्थाई कर्मचारी नहीं लगे हैं। इसके चलते संविदा तकनीशियन से ही काम चलाना पढ़ रहा है। स्थाई व्याख्याताओं की भर्ती हो तो विद्यार्थियों को ज्यादा सीखने को मिल सकता है।
५५ सवारी की जान के मालिक भी संविदा पर राजस्थान रोडवेज भी संविदाकर्मियों के भरोसे चल रहा है। यहां एक बस में करीब ५५-६० सवारियों की जान को लेकर चलने वाले चालक भी संविदा पर चल रहे हैं। ऐसे में प्रशिक्षित चालकों के अभाव में कभी दुर्घटना हो सकती है।
संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी संविदा पर ही काम करेंगे। डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी जिला कलक्टर