क्या करती हैं आशा आशा की जिम्मेदारी है कि वह गर्भवती माता की देखभाल करे। उसके स्वास्थ्य की चिन्ता करे। गर्भवती का प्रसव सरकारी अस्पताल में लाकर करवाए। इसके बदले आशा कार्यकर्त्री को 600 रुपये का भुगतान किया जाता है। अगर गर्भवती ने किसी निजी अस्पताल में प्रसव करा लिया तो कोई भुगतान नहीं होता है। आशा कार्यकर्त्री के सामने समस्या यह है कि जिस गर्भवती की नौ माह तक चिन्ता की, उसके बदले 600 रुपये मिलेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
ये लगाए नारे इसी समस्या को लेकर वे गुरुवार को सेन्ट्रल जेल रोड स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर आईं। खेरागढ़ विकास खंड की इन आशा कार्यकर्त्री ने जमकर नारेबाजी की। जरा इनके नारे तो सुनिए- योगी तेरे शासन में खुशी नहीं है आंगन में। मोदी तेरे शासन में, खुशी नहीं है आंगन में। अभी तो ली अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है। हम भारत की नारी हैं, फूल नहीं चिनगारी हैं। हक हमारे आप का, नहीं किसी के बाप का। आशा यूनियन जिन्दाबाद। आप हमारा वेतन बढ़ाओ, हम आपका सम्मान बढ़ाएंगे। इनक्लाब जिन्दाबाद।
नहीं मिलता मानदेय सीएमओ कार्यालय में ज्ञापन देने के बाद आशा यूनियन की अध्यक्ष कुंता ने पत्रिका से कहा कि हम 12 साल से काम कर रहे हैं लेकिन आज तक कोई मानदेय नहीं दिया गया है। गर्भवती की देखभाल करने पर कमीशन मिलेगा, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने मांग की कि हमें मानदेय दिया जाए, राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए और तदनुसार सभी लाभ दिलाए जाएं। इस मौके पर रजनी, ओमकुकारी, प्रेमलता, ओमवती, गीता, सरिता आदि उपस्थित थीं।