शरद पूर्णिमा की रात सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर साहिब जी के ऐतिहासिक स्थान गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब (गुरु का ताल) पर शरद पूर्णिमा के दिन विगत 46 वर्षों से दवा का वितरण किया जा रहा है। गुरुद्वारा गुरु के ताल पर संत बाबा साधू सिंह मौनी के समय 1971 में दवा का निर्माण शुरू हुआ था। गाय के दूध से बनी खीर में डालकर दवा दी जाती है। इसमें चावल भी विशेष किस्म का इस्तेमाल किया जाता है। यह दवा साल में एक बार शरद पूर्णिमा वाले दिन मिट्टी के सकोरे में दी जाती है। दवा का अनुपात मरीज की उम्र एवं मर्ज की स्थिति को देखकर घटाया बढ़ाया जाता है।
कई राज्यों से आ रहे मरीज इस बार दवाई को ग्रहण करने के लिए उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार एवं हरियाणा के मरीजों ने अपने नाम लिखाए हैं। आगरा से तो हर साल बड़ी संख्या में मरीज आते हैं।
दवा के साथ परहेज जरूरी गुरु का ताल के मीडिया प्रभारी मास्टर गुरनाम सिंह एवं समन्वयक बन्टी ग्रोवर ने बताया दवाई विशुद्ध रूप से देशी जड़ी बूटियों से बनी होती है। संत बाबा प्रीतम सिंह स्वयं अपनी देख रेख में दवा तैयार करवाते हैं।
संत बाबा प्रीतम सिंह जी का कहना है कि दवा खान के साथ अगर परहेज किया जाए तो मरीजों को निश्चित रूप से फायदा होता है।
कैसे पहुंचे गुरुद्वारा गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा-दिल्ली रोड पर सिकंदरा के निकट है। दिल्ली और कानपुर की ओर से आराम से पहुंचा जा सकता है। अंतरराज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी) भी गुरुद्वारा गुरु के ताल के पास है। ऑटोरिक्शा हर समय मिलते हैं।
कैसे पहुंचे गुरुद्वारा गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा-दिल्ली रोड पर सिकंदरा के निकट है। दिल्ली और कानपुर की ओर से आराम से पहुंचा जा सकता है। अंतरराज्यीय बस अड्डा (आईएसबीटी) भी गुरुद्वारा गुरु के ताल के पास है। ऑटोरिक्शा हर समय मिलते हैं।
यहां करा लें पंजीकरण समन्वयक बंटी ग्रोवर ने बताया कि दवाई लेने के इच्छुक व्यक्ति अपना नाम टेलीफोन नम्बर 0562-2601717 और 0562-2601313 पर लिखवाकर पंजीकरण करा लें। जिनके नाम पंजीकृत नहीं होंगे, उसी हिसाब से दवा तैयार की जाएगी