आगरा

शिवपाल यादव को लेकर ज्योतिषाचार्य की बड़ी घोषणा, 2019 लोकसभा चुनाव में होगा ऐसा करिश्मा…

ज्योतिषाचार्य की बड़ी भविष्यवाणी, बदल रही शिवपाल यादव के ग्रहों की चाल, कुंडली में बन रहा गजकेशरी योग।

आगराDec 07, 2018 / 07:19 pm

धीरेंद्र यादव

शिवपाल यादव

आगरा। प्रगतिशील समाजवादी लोहिया के मुखिया शिवपाल यादव को लेकर ज्योतिषाचार्यों ने बड़ी भविष्यवाणी की है। 2019 से पहले शिवपाल यादव ने तूफानी दौरों से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तो ला दी है, लेकिन अब सवाल ये है कि शिवपाल यादव आने वाले समय में क्या करिश्मा दिखाएंगे। ज्योतिषाचार्यों ने शिवपाल यादव के राजनैतिक भविष्य को लेकर बड़ी घोषणा की है।
ये कहना है ज्योतिषाचार्य का
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि शिवपाल यादव का जन्म 2 मार्च 1955 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था। उनके जन्म के हिसाब से शिवपाल यादव का कुंभ लग्न है। उनके लग्न में सूर्य है, तृतीय भाव में मंगल बैठा है, जो पराक्रम का भाव है। चौथे भाव में चंद्र है। पंचम भाव में सूर्य और केतु हैं और भाग्य स्थान में उच्च का शनि बैठा है, जो शिवपाल यादव का लग्नेश है। सूर्य के लग्न में होने के कारण भाई मुलायम सिंह यादव से अधिक प्रेम मिल रहा है और उन्हीं के आर्शीवाद तक यहां तक पहुंचे हैं। 11 वें भाव में राहु है और 12 वें भाव में बुध और शुक्र मकर राशि में है।
रहेंगे प्रभावशाली
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सूर्य लग्न में है, इसलिये शिवपाल यादव प्रभावशाली हैं। सरकारी कार्य करने में दक्ष हैं। सरकार से लाभ और सम्मान इसीलिये प्राप्त हुआ है। तृतीय भाव में मंगल अपनी मेष राशि में बैठा है, इसलिये परिवार का सहयोग मिल रहा है। चौथे भाव में चंद्र है, इसलिय मन स्थिर है। शनि उच्च का है, चंद्रमा उच्च का है और मंगल स्वराशी का है और राहु केतू भी उच्च के हैं। पंचम भाव में गुरु है, जो इनकी संतान को देख रहे हैं, इसलिये संतान का कैरियर राजनीति में बनेगा। संतान के कारण राजनीति में प्रभाव भी बढ़ेगा। राजनैतिक मित्रों का सहयोग मिलेगा।
बन रहा गजकेसरी योग
शिवपाल यादव की बुध की महादशा में शुक्र का प्रत्यंतर चल रहा है, जो 28 दिसंबर 2017 से 28 दिसंबर 2020 तक चलेगा। राजनीति में इसका विशेष लाभ मिलेगा। बुध इनका पंचमेश है और अष्टम भाव का स्वामी है। अचानक सफलता, गुप्तधन मिलने का कारक होता है। शुक्र इनका सुख भाव का स्वामी है और नवम भाव का भाग्य स्थान का स्वामी है। गोचर में गुरु बृहस्पिति 11 अक्टूबर को वृश्चिक राशि में आ गये हैं, जो इनकी राशि वृष चंद्रमा को देख रहे हैं। जिसके कारण गज केसरी योग का निर्माण हो रहा है। ये अगले 13 महीने तक यही रहेंगे।

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