वरिष्ठ पत्रकार चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार बताते हैं कि झुमका गिरा रे, गाना यूं ही नहीं आया, इसके पीछे एक दिलचस्प किस्सा है जो कि अमिताभ बच्चन के पिता कवि हरवंश राय बच्चन और मां तेजी बच्चन से जुड़ा है। दरअसल हरिवंशराय बच्चन अपनी पत्नी के साथ जवानी के दिनों में एक बार बरेली कवि सम्मेलन में शामिल होने गए थे। वहां बाजार में तेजी बच्चन का झुमका गिर गया। काफी ढूंढने पर भी झुमका नहीं मिला। जब वे मंच पर थे तो हरिवंशराय बच्चन ने अपने कवि साथियों के बीच इस घटना का जिक्र किया। उस समय उनके साथ शायर राजा मेहंदी अली खान भी मंच पर थे। वे इस घटना से काफी व्यथित हुए थे।
फिल्म मेरा साया के लिए मेहंदी अली खां जब गीत लिख रहे थे तो संयोग से उन्हें झुमका गिरने वाली वो घटना याद आ गई और उन्होंने गीत झुमका गिरा से बरेली के बाजार में लिख डाला। इस गीत को लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी और साधना पर इसे फिल्माया गया। फिल्म रिलीज होने के बाद ये गाना इतना लोकप्रिय हुआ कि इसने सारे रिकार्ड तोड़ दिए।
इस गाने के सामने आने के बाद झुमका बरेली की पहचान बना गया। यहां तक कि वर्ष 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी एक जनसभा के दौरान बरेली के झुमके का जिक्र किया। उस जनसभा में उन्होंने न सिर्फ बरेली के बाजार में खोये उस झुमके की चर्चा थी बल्कि उसके अब तक न मिलने पर भी चिंता जतायी थी। लेकिन 54 साल बाद आखिरकार योगी आदित्यनाथ सरकार ने बरेली शहर का झुमका ढूंढ ही लिया।
झुमके से हुई बरेली की पहचान को और पुख्ता बनाने के लिए उन्होंने प्रवेश द्वार पर 14 फुट ऊंचाई पर बड़ा पीतल का झुमका लगवाया। बरेली विकास प्राधिकरण ने इस झुमके को 18 लाख रुपए की कीमत से तैयार कराया है। सालों पहले खोए इस झुमके के मिलने के बाद से झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में वाला गीत एक बार फिर से लोगों की जुबां पर आ गया है।