बुखार: बुखार आने पर बेल की पत्तियों को 1 से 2 गिलास पानी में अच्छे से पकाएं। आधा रह जाने पर छानकर गुनगुना पिएं। ऐसा करने से बुखार (Fever) ठीक हो जाएगा। विषम ज्वर होने पर इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर गोलियां बनाएं फिर गुड़ के साथ खाएं।
छाले: पेट की खराबी से अक्सर लोगों के मुंह में छाले हो जाते हैं। ऐसे में बेल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाते रहें। इससे काफी आराम होगा। बवासीर: बेल की जड़ का गूदा पीसकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर, इस चूर्ण को रोज़ सुबह-शाम ठंडे पानी के साथ खा लें। अगर बवासीर का दर्द बहुत अधिक है तो दिन में तीन से चार बार लें। इससे आपकी बवासीर (Piles) की समस्या तुरंत ठीक हो जाएगी।
दस्त: बच्चों में दस्त की समस्या होने पर एक चम्मच बेल पत्र का रस पिलाने से तुरंत आराम मिलता है। जोड़ों में दर्द: जोड़ों का दर्द होने पर बेल के पत्ते गर्म करके दर्द वाली जगह बांधने से सूजन व दर्द में राहत मिलती है।
मासिक धर्म की अनियमितता: महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता, अधिक मासिक स्राव व श्वेतस्राव (Leucorrhoea) में बेलपत्र व जीरा पीसकर दूध में मिलाकर पीने से लाभ होता है। हृदय रोगी: बेलपत्र का काढ़ा रोजाना बनाकर पीने से आपका हृदय संबन्धी परेशानियां दूर होती हैं।
अस्थमा: अस्थमा (Asthama) व अन्य सांस की बीमारियों में बेल के पत्तों का काढ़ा काफी लाभकारी है। लंबाई बढ़ाने में सहायक: जिन बच्चों की लंबाई न बढ़ रही हो, उन्हें तीन बिल्वपत्र व एक काली मिर्च सुबह खाली पेट चबाकर खाने के लिए दें। साथ ही ताड़ासन करवाएं। नाटे ठिंगने बच्चों के लिए यह प्रयोग आशीर्वाद की तरह है।