ये खबर भी पढ़ें: SC ST Act: दलितों की पंचायत में लिया गया एक महत्वपूर्ण फैसला फूट डालो राज करो की राजनीति चरम पर
देश में फूट डालो राज करो की राजनीति चरम पर है, इसके खिलाफ खड़े होने की जरूरत है। वहीं सोशल मीडिया पर संदेशों में कहा जा रहा है कि एक्ट को लेकर सरकार भ्रमित करने का काम कर रही है। यदि सब कुछ पहले जैसा है तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले ही कानून में संशोधन करने का निर्णय क्यों लिया। यह केवल सत्ता पाने के लिये एक वर्ग को खुश करने की कवायद भर है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा जब-जब सत्ता में आई, इसने सवर्णों की उपेक्षा करने का काम किया। संदेशों में कहा गया है कि भाजपा राम मंदिर, कश्मीर में धारा 370 हटाने और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे लेकर सत्ता में आई थी, तो उसने इन मुद्दों पर कानून बनाने की जल्दबाजी क्यों नहीं की। राम मंदिर का मुद्दा तो सुप्रीम कोर्ट तय करे और एससी-एसटी कानून सुप्रीम कोर्ट से पहले सरकार तय कर दे, ये कहां तक उचित है। एक संदेश में यह भी कहा गया है कि लोगों को यह रोज-रोज का भ्रम खत्म कर लेना चाहिए कि पार्टी बचानी है या सोशल मीडिया पर देश बचाना है या धर्म बचाना है। जाति के प्रत्याशी को बचाना है या फिर खुद को और अपने बच्चों को बचाना है। सवर्ण आर्थिक पिछड़ा आरक्षण बिल वर्ष 1991 से संसद में धक्के खा रहा है और एससी-एसटी एक्ट चार दिन में ही दोनों सदनों से पारित हो गया। क्या अपने बच्चों का भवष्यि राजनेताओं की महत्वाकांक्षा पर कुर्बान कर दिया जाए।
देश में फूट डालो राज करो की राजनीति चरम पर है, इसके खिलाफ खड़े होने की जरूरत है। वहीं सोशल मीडिया पर संदेशों में कहा जा रहा है कि एक्ट को लेकर सरकार भ्रमित करने का काम कर रही है। यदि सब कुछ पहले जैसा है तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले ही कानून में संशोधन करने का निर्णय क्यों लिया। यह केवल सत्ता पाने के लिये एक वर्ग को खुश करने की कवायद भर है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा जब-जब सत्ता में आई, इसने सवर्णों की उपेक्षा करने का काम किया। संदेशों में कहा गया है कि भाजपा राम मंदिर, कश्मीर में धारा 370 हटाने और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे लेकर सत्ता में आई थी, तो उसने इन मुद्दों पर कानून बनाने की जल्दबाजी क्यों नहीं की। राम मंदिर का मुद्दा तो सुप्रीम कोर्ट तय करे और एससी-एसटी कानून सुप्रीम कोर्ट से पहले सरकार तय कर दे, ये कहां तक उचित है। एक संदेश में यह भी कहा गया है कि लोगों को यह रोज-रोज का भ्रम खत्म कर लेना चाहिए कि पार्टी बचानी है या सोशल मीडिया पर देश बचाना है या धर्म बचाना है। जाति के प्रत्याशी को बचाना है या फिर खुद को और अपने बच्चों को बचाना है। सवर्ण आर्थिक पिछड़ा आरक्षण बिल वर्ष 1991 से संसद में धक्के खा रहा है और एससी-एसटी एक्ट चार दिन में ही दोनों सदनों से पारित हो गया। क्या अपने बच्चों का भवष्यि राजनेताओं की महत्वाकांक्षा पर कुर्बान कर दिया जाए।
बाजार रहेगा बंद
आगरा क्लॉथ मार्केटाइल एसोसिएशन (एक्मा) और मोतीगंज व्यापार समिति ने गुरुवार को भारत बंद के समर्थन में कारोबार बंद रखने का ऐलान किया है। एक्मा के अध्यक्ष संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन का विरोध किया गया। बैठक में कहा गया कि इस कानून से न केवल निर्दोष का उत्पीड़न बढ़ जाएगा, बल्कि समाज के दो वर्गों के बीच बड़ी खाई बन जाएगी। बैठक में महामंत्री ताराचंद गोयल, उपाध्यक्ष महेश खंडेलवाल, संजय मत्तिल, माधव अग्रवाल, विनोद गर्ग, मंत्री बृजकिशोर अग्रवाल, राजीव गुप्ता एवं अन्य व्यापारियों ने भाग लिया।वहीं मोतीगंज खाद्य व्यापार समिति की रामप्रकाश अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई व्यापारियों की बैठक में भी छह सितम्बर को सभी प्रतष्ठिान बंद रखने का निर्णय लिया गया। बैठक में व्यापारियों से अपने-अपने प्रतष्ठिान बंद रखकर कानून का विरोध करने की अपील की गई।
आगरा क्लॉथ मार्केटाइल एसोसिएशन (एक्मा) और मोतीगंज व्यापार समिति ने गुरुवार को भारत बंद के समर्थन में कारोबार बंद रखने का ऐलान किया है। एक्मा के अध्यक्ष संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन का विरोध किया गया। बैठक में कहा गया कि इस कानून से न केवल निर्दोष का उत्पीड़न बढ़ जाएगा, बल्कि समाज के दो वर्गों के बीच बड़ी खाई बन जाएगी। बैठक में महामंत्री ताराचंद गोयल, उपाध्यक्ष महेश खंडेलवाल, संजय मत्तिल, माधव अग्रवाल, विनोद गर्ग, मंत्री बृजकिशोर अग्रवाल, राजीव गुप्ता एवं अन्य व्यापारियों ने भाग लिया।वहीं मोतीगंज खाद्य व्यापार समिति की रामप्रकाश अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई व्यापारियों की बैठक में भी छह सितम्बर को सभी प्रतष्ठिान बंद रखने का निर्णय लिया गया। बैठक में व्यापारियों से अपने-अपने प्रतष्ठिान बंद रखकर कानून का विरोध करने की अपील की गई।