ये काम न करें अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम के कठोर प्रावधान (मसलन मात्र एक शिकायत पर किसी भी व्यक्ति को दोषी मान कर गिरफ्तार करना उसकी जमानत ना होना) के विरोध में और 70 वर्षों से चली आ रही जातिगत आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की मांग को लेकर 6 सितंबर 2018 को भारत बंद का आह्वान किया गया है। इस बंद के दौरान न सड़क पर हुड़दंग करना है ना जबरदस्ती व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कराने हैं। ना सड़कें जाम करनी हैं।
1.मात्र करना इतना है कि 10:00 से 7:00 बजे तक अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान, दुकानें, डिस्पेंसरी, स्कूल बंद रखने हैं।
2.न तो ऑफिस जाना है न बच्चों को स्कूल भेजना है।
3.न कोई सामान खरीदना है, न पेट्रोल पंप में पेट्रोल लेना है।
सामान्य वर्ग प्रतिकार करना जानता है इस स्वैच्छिक बंद से सरकार में बैठे कुटिल नीतिकर्ताओं और नेताजी उनके उपनेता जी को यह पता चलना चाहिए कि सामान्य वर्ग इस तरह के भेदभाव पूर्ण नीतियों को स्वीकार नहीं कर रहा और प्रतिकार करना जानता है। बिना किसी प्रकार का दंगा फसाद किए हुए बिना किसी प्रकार की तोड़फोड़ किए, बिना किसी प्रकार से सड़क जाम किए, बिना किसी प्रकार से जबरदस्ती प्रतिष्ठान बंद कराए अपना प्रतिकार बौद्धिक ढंग से दिखाना जानता है, क्योंकि उसे इस देश से इस समाज से प्रेम है।
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सामान्य समाज, समाज में अराजकता नहीं चाहता। सड़क जाम नहीं चाहता। दुकानों में तोड़फोड़ नहीं चाहता। इस बंद को शांतिपूर्ण रखना है। आप सबसे आग्रह है कि इस संदेश को कम से कम100 लोगों तक प्रेषित करें और उनको कहे कि वह इसे 100 लोगों तक प्रेषित करें। सभी की डीपी पर यह संदेश हो । सभी के फेसबुक पर यह संदेश हो। सभी रिश्तेदारों तक यह संदेश पहुंचे। आपके परिचित उन दुकानदारों, डॉक्टरों तक यह संदेश पहुंचे कि छह सितंबर 2018 को प्रातः 10 बजे से सायंकाल सात बजे तक हम सरकार की गलत नीतियों के प्रतिकार हेतु बंद का आह्वान करते हैं। हम बंद का समर्थन करते हैं।