ये है मांग
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद मासिक पेंशन की योजना का लाभ तो दिया है, लेकिन श्रमिकों की वर्तमान स्थिति के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पूरे महीने में बमुश्किल श्रमिक को 10 से 15 दिन काम मिलता है, उसके बाद भी मजदूरी इतनी कम मिलती है, कि वह परिवार का तो दूर, अपना पेट नहीं भर सकता है। इसलिए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी तय की जाए।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद मासिक पेंशन की योजना का लाभ तो दिया है, लेकिन श्रमिकों की वर्तमान स्थिति के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पूरे महीने में बमुश्किल श्रमिक को 10 से 15 दिन काम मिलता है, उसके बाद भी मजदूरी इतनी कम मिलती है, कि वह परिवार का तो दूर, अपना पेट नहीं भर सकता है। इसलिए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी तय की जाए।
600 रुपये न्यूनतम मजदूरी
तुलाराम शर्मा ने बताया कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी 600 रुपये और मासिक 18 हजार रुपये मिलने चाहिए, जिससे वह अपना और अपने परिवार का सही प्रकार पालन पोषण कर सके। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि ग्राम पंचायत स्तर पर लघु सचिवालय बनाया जाए, जिससे गांव के गरीब, मजदूर किसान को छोटे छोटे कार्यों के लिए शहर की दौड़ नहीं लगानी पड़े।
तुलाराम शर्मा ने बताया कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी 600 रुपये और मासिक 18 हजार रुपये मिलने चाहिए, जिससे वह अपना और अपने परिवार का सही प्रकार पालन पोषण कर सके। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि ग्राम पंचायत स्तर पर लघु सचिवालय बनाया जाए, जिससे गांव के गरीब, मजदूर किसान को छोटे छोटे कार्यों के लिए शहर की दौड़ नहीं लगानी पड़े।