क्या है मामला पीएम मोदी ने बुधवार को आगरा के कोठीमीनाबाजार मैदान पर जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने आगरा को करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये की सौगात भी दी थी ये सभी योजनाएं केन्द्र और राज्य सरकार के समन्वय की थी। शिलान्यास और उद्घाटन वाली शिला पट्टिकाओं पर पीएम सीएम और सांसद का नाम ही अंकित है जबकि पूर्व में जो शिला पट्टिकाएं तैयार करायी गयीं थीं उन पर क्षेत्रीय विधायक का नाम भी अंकित था। ऐसे में इन पट्टिकाओं से विधायक का नाम कैसे हटाया गया इस सवाल पर विधायक माथा पच्ची कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक विधायक योगेन्द्र उपाध्याय, जगन प्रसाद गर्ग, रानी पक्षालिका सिंह, रामप्रताप सिंह चौहान और महेश गोयल ने इस संबंध में जिलाधिकारी से भी मुलाकात की। ये सभी विधायक इस मुद्दे को सीएम के समक्ष भी उठायेंगे। सूत्र बताते हैं कि पीएमओ के निर्देश पर विधायकों के ये नाम शिला पट्टिकाओं से हटाए गये। यहां आपको बता दें कि गंगाजल और एसएन के आधुनिकीकरण के लिए विधायक योगेन्द्र ने प्रयास किए थे ये गंगाजल योजना जहां प्रदेश सरकार और जापान के सहयोग से पूरा हुआ है वहीं एसएन का आधुनिकीकरण प्रदेश सरकार की योजना है। ऐसे में इन योजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन की पट्टिकाओं में विधायकों का नाम होना निश्चित होता है। विधायकों के तेवरों को देखते हुए इस विवाद का तूल पकड़ना तय है। बहरहाल प्रशासन ने शिलापट्टिका विवाद से पल्ला झाड़ लिया है। आपको यहां ये भी बता दें कि पीएम को योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास की पूरी जानकारी थी इसलिए अपने संबोधन में साढ़े तीन करोड रुपये ही बोले जबकि सीएम ने अपने संबोधन में साढे पांच हजार रुपये की योजनाओं का जिक्र किया।
समन्वय की कमी शिलापट्टिका विवाद और पीएम और सीएम के संबोधन के दौरान योजनाओं की धनराशि में महज इत्तफाक नहीं माना जा सकता। कहीं न कहीं पीएमओ और सीएम कार्यालय में समन्वय की कमी रही है। वहीं ऐन वक्त पर विधायकों के नाम शिलापट्टिकाओं के नाम क्यों हटाए गये ये भी एक बड़ा सवाल तो है ही। हालांकि विधायक इन सवालों के जबाव तो ढ़ूढ़ रहे हैं लेकिन पीएमओ का नाम आने के चलते कछ भी खुलकर कहने बच रहे हैं। विधायक इस मामले में गणतंत्र दिवस से पहले सीएम से मुलाकात कर शिकायत करने की रुपरेखा तैयार कर रहे हैं।