स्वास्थ्य केन्द्रों पर नहीं रहते चिकित्सक
श्री चाहर ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार आम जनता के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य (CHC) केन्द्रों को सुदृढ़ किया जा रहा है। समस्या यह है कि इन केन्द्रों पर चिकित्सक और स्टाफ तैनात नहीं रहता है। सब अपने धंधे में व्यस्त हैं। नर्स अपने घर पर प्रसव कराती है। चिकित्सक निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है।
श्री चाहर ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार आम जनता के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य (CHC) केन्द्रों को सुदृढ़ किया जा रहा है। समस्या यह है कि इन केन्द्रों पर चिकित्सक और स्टाफ तैनात नहीं रहता है। सब अपने धंधे में व्यस्त हैं। नर्स अपने घर पर प्रसव कराती है। चिकित्सक निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है।
झोलाछाप के यहां इलाज कराने की मजबूरी
श्री चाहर ने कहा कि हमारे गांव के भाइयों की मजबूरी है कि वे झोलाछाप चिकित्सकों के यहां जाकर इलाज कराएं। जब किसी को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा मिलेगी तो वह झोलाछाप के यहां पैसे देकर इलाज क्यों कराएगा? शहर से दूर बाह, पिनाहट, खेरागढ़, फतेहपुर सीकरी जैसे इलाकों में स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सक और स्टाफ नहीं रकता है। सीएमओ ने इन्हें अभयदान दे रखा है। इसी कारण ताले पड़े रहते हैं।
श्री चाहर ने कहा कि हमारे गांव के भाइयों की मजबूरी है कि वे झोलाछाप चिकित्सकों के यहां जाकर इलाज कराएं। जब किसी को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा मिलेगी तो वह झोलाछाप के यहां पैसे देकर इलाज क्यों कराएगा? शहर से दूर बाह, पिनाहट, खेरागढ़, फतेहपुर सीकरी जैसे इलाकों में स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सक और स्टाफ नहीं रकता है। सीएमओ ने इन्हें अभयदान दे रखा है। इसी कारण ताले पड़े रहते हैं।
निजी अस्पताल में हो रही कटाई
उन्होँने बताया कि मजबूरी में गांव का आदमी शहर आता है। निजी अस्पताल में उसे जिन्दा ही काट दिया जाता है। एसएन मेडिकल कॉलेज तक में कुछ भी फ्री नहीं है। इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है। जरूरत इस बात की है कि निजी अस्पतालों के बाहर रेट लिस्ट टांगी जाए, ताकि इच्छानुसार इलाज कराया जा सके। हर अस्पताल अपनी सुविधानुसार इलाज के नाम पर वसूली कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जल्दी ही जागरूकता अभियान चलाया जाएगा
उन्होँने बताया कि मजबूरी में गांव का आदमी शहर आता है। निजी अस्पताल में उसे जिन्दा ही काट दिया जाता है। एसएन मेडिकल कॉलेज तक में कुछ भी फ्री नहीं है। इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है। जरूरत इस बात की है कि निजी अस्पतालों के बाहर रेट लिस्ट टांगी जाए, ताकि इच्छानुसार इलाज कराया जा सके। हर अस्पताल अपनी सुविधानुसार इलाज के नाम पर वसूली कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जल्दी ही जागरूकता अभियान चलाया जाएगा
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