काबिलेगौर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभालते ही जन-धन योजना की शुरूआत की थी। लेकिन, अब बैंकों के जटिल नियमों के कारण हजारों उपभोक्ता परेशान हैं। बैंकों खातों से धन निकासी, जमा करने, खाते संचालन करने में उनके सामने तमाम समस्याएं आ रही हैं। बैंक अफसर भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। 28 अगस्त 2014 को पीएम के आदेश पर सभी बैंकों में जन-धन योजना के तहत जीरो बैलेंस के खाते खुलवाए गए। जनधन योजना में खाते खुलवाने को बैंकों में काफी भीड़ उमड़ी। बैंकों पर भी कामकाज का दबाव बढ़ा। अब इन्हीं जनधन खातों में कालेधन की गड़बड़ी की बातें सामने आ रही हैंं। सूत्रों के मुताबिक आगरा से करीब नौ करोड़ रुपया कालाधन के रूप में खातों में जमा किया गया था। बता दें कि पीएमजीकेवाई में 21,000 लोगों ने 4,900 करोड़ रुपए के कालेधन की घोषणा की। यह योजना इस साल 31 मार्च को बंद हुई थी और यह अंतिम आंकड़ा है। इन घोषणाओं के जरिए टैक्स के रूप में अब तक 2,451 करोड़ रुपए प्राप्त किए हैं।
नवंबर माह में नोटबंदी के दौरान इन खातों का जमकर दुरुपयोग किया। बैंक अधिकारी, कर्मचारियों के साथ सेवायोजकों ने जबरन इन खातों में लाखों रुपया जमा करा दिया। इससे गरीबों को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इधर छह माह तक खातों में ट्रांजेक्शन न करने पर हजारों खाते बंद हो गए। सूत्र बताते हैं कि आयकर विभाग ने दो सौ से अधिक खाताधारकों को नोटिस भेजे गए हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही कालेधन वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि जनधन योजना में तीन लाख से अधिक खातों का संचालन हो रहा है। इन खातों में 50 हजार जमा व 10 हजार तक निकासी की जा सकती है। छह माह तक लेन-देन न करने पर खाता बंद करने का प्रावधान है। कई सारे खातों में कालाधन की खबरें आ रही है। इनपर बैंक और आयकर विभाग नजर रखे हुए हैं।