दरअसल मृतक पूरनसिंह की पत्नी पूनमद देवी ने थाना इरादतनगर रामनरेश, दीवान सिंह एवं मंजूदेवी के के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। विवेचना के दौरान नामजद अभियुक्त रामनरेश, दीवानसिंह से जब पूछताछ की गई तो इन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि हम लोग चार भाई हैं। मेर पिता ने अपनी चल सम्पत्ति में से साढे सात लाख रुपए दो वर्ष पहले हम दो भाइयों को दिये थे। हम दोनो भाइयों ने अन्य दो साझीदारों के साथ मिलकर अपने ही खेत में ईटों का भट्टा लगाया तथा अपने खेत से ईंट बनाने के लिए मिट्टी निकाली। इस कार्य में हम लोगों को ग्यारह लाख रुपए का लाभ हुआ।
यह भी पढ़ें- भक्ति और शक्ति का प्रतीक नगर कीर्तन पांच जनवरी को, किया गया बड़ा बदलाव पूरन सिंह शराब पीने का आदी था। उसके द्वारा भट्टे में कोई सहयोग नहीं किया गया था। लेकिन फिर भी जबरदस्ती हिस्सा मांगता था। हिस्सा देने से मना करने पर अबसे करीब 20-25 दिन पहले पूरन सिंह हम दोनों भाइयों के ऊपर जान से मारने की नीयत से तमंचा तान दिया था। इस मामले के बाद रिश्तेदार व गांव वालों ने हम सभी भाइयों का समझौता कराया।
भट्टे की आमदनी के चार हिस्से हुए। लेकिन पूरनसिंह का हिस्सा अब तक हम लोगों ने नहीं दिया था। इसके बाद पूरन सिंह ईंट तैयार कराने के लिए मिट्टी नहीं उठने दे रहा था। इसके बाद हम दोनों भाइयों ने मिलकर पूरन सिंह को रास्ते से हटाने की योजना बनायी। 19/20-11-19 की रात में पूरन सिंह अपने कमरे के बाहर खुले आंगन में सो रहा था। बनाई योजना के अन्तर्गत हम दोनों भाई (रामनरेश व दीवानसिंह) ने मिलकर पूरन सिंह के मफलर से ही पूरनसिंह को गला दबाकर मार दिया और लाश को आंगन में रखी बाजरा की करब में रखकर करब से छिपाकर रख दी थी।