पाकिस्तान की गोलाबारी में शहीद हुए
शहीद देवेंद्र बीएसएफ के जवान थे और जम्मू में मंगूचक्क बॉर्डर आउटपोस्ट (बीओपी) पर घुसपैठियों को प्रवेश कराने के लिए पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई फायरिंग में शहीद हो गए थे। शहीद देवेंद्र ने गोली लगने के बाद भी घुसपैठियों को भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया। देवेंद्र के शहीद होने की खबर मंगलवार को लखनपुर स्थित परिवारीजनों को मिली थी। बुधवार को शहीद का शव गांव लाए जाने से पहले ही भारी भीड़ थी। हर कोई शहीद के अंतिम दर्शन करना चाहता था।
शहीद देवेंद्र बीएसएफ के जवान थे और जम्मू में मंगूचक्क बॉर्डर आउटपोस्ट (बीओपी) पर घुसपैठियों को प्रवेश कराने के लिए पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई फायरिंग में शहीद हो गए थे। शहीद देवेंद्र ने गोली लगने के बाद भी घुसपैठियों को भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया। देवेंद्र के शहीद होने की खबर मंगलवार को लखनपुर स्थित परिवारीजनों को मिली थी। बुधवार को शहीद का शव गांव लाए जाने से पहले ही भारी भीड़ थी। हर कोई शहीद के अंतिम दर्शन करना चाहता था।
ये हैं मांगें
शहीद के परिजनों ने मांग की है कि शहीद देवेंद्र के नाम पर पेट्रोल पम्प दिया जाए। शहीद के परिजनों को आवास उपलब्ध कराया जाए। बच्चों के बड़े होने पर उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए। गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखा जाए। जिस स्थान पर शहीद की अंत्योष्टि की जाए, उस जगह को शहीद स्मारक माना जाए। शहीद स्मारक की तरह से उसका विकास किया जाए। भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री प्रशांत पौनिया ने बताया कि ग्रामीणों को समझाया जा रहा है। वे मौके पर हैं। चाहते हैं कि शहीद की अंत्येष्टि पूरे सम्मान के साथ हो।
शहीद के परिजनों ने मांग की है कि शहीद देवेंद्र के नाम पर पेट्रोल पम्प दिया जाए। शहीद के परिजनों को आवास उपलब्ध कराया जाए। बच्चों के बड़े होने पर उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए। गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखा जाए। जिस स्थान पर शहीद की अंत्योष्टि की जाए, उस जगह को शहीद स्मारक माना जाए। शहीद स्मारक की तरह से उसका विकास किया जाए। भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री प्रशांत पौनिया ने बताया कि ग्रामीणों को समझाया जा रहा है। वे मौके पर हैं। चाहते हैं कि शहीद की अंत्येष्टि पूरे सम्मान के साथ हो।
बेटे के जन्मदिन पर 25 मई को आना था
बीएसएफ के शहीद हुए जवान देवेंद्र की हसरत अधूरी ही रह गई। उनके दो साल के बेटे धीरज का दूसरा जन्मदिन 25 मई को है। देवेंद्र ने परिजनों से कहा था कि वह इस बार बेटे का जन्मदिन धूमधाम से मनाएगा। उनकी छुट्टी भी मंजूर हो गई थी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। परिजनों ने बताया कि देवेंद्र का परिजनों से काफी लगाव था। उसके जाने के गम ने सभी को तोड़ कर रख दिया है। पत्नी का तो बुरा हाल हो रहा है। परिजनों का कहना है कि बेटे के जाने का गम तो उन्हें जिंदगी भर रहेगा, लेकिन देश के लिए शहादत देने वाले बेटे की बहादुरी पर सीना हमेशा चौड़ा रहेगा।
बीएसएफ के शहीद हुए जवान देवेंद्र की हसरत अधूरी ही रह गई। उनके दो साल के बेटे धीरज का दूसरा जन्मदिन 25 मई को है। देवेंद्र ने परिजनों से कहा था कि वह इस बार बेटे का जन्मदिन धूमधाम से मनाएगा। उनकी छुट्टी भी मंजूर हो गई थी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। परिजनों ने बताया कि देवेंद्र का परिजनों से काफी लगाव था। उसके जाने के गम ने सभी को तोड़ कर रख दिया है। पत्नी का तो बुरा हाल हो रहा है। परिजनों का कहना है कि बेटे के जाने का गम तो उन्हें जिंदगी भर रहेगा, लेकिन देश के लिए शहादत देने वाले बेटे की बहादुरी पर सीना हमेशा चौड़ा रहेगा।