सभी बड़े नेताओं ने लड़ा चुनाव और मिली है जीत
आगामी लोकसभा चुनाव में हार जीत को लेकर कयास लगाने का दौर शुरू हो गया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि यदि मोदी सरकार ने एससी एसटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों के आधार पर लागू किया तो दलित वोटर पार्टी से खिसक जाएगा और यदि नहीं किया तो इस बार सवर्ण वोटर मोदी सरकार को चुनाव में बड़ा नुकसान पहुंचाएगा। वोटर इस बार जातिगत समीकरण फिट बैठाने में लगा है तो पार्टियां भी इसी फॉर्मूले पर काम कर रही हैं। बसपा नेता पार्टी मुखिया को दलितों की राजधानी से चुनाव लड़ाने की कोशिश में जुट गए हैं। जिस तरीके से राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, मुलायम सिंह और अन्य बड़े नेता कहीं से खड़े होकर चुनाव जीत जाते हैं। बसपाई चाहते हैं कि मायावती इस चुनाव में आगरा से खड़ी हों और विरोधियों को मुंह तोड़ जवाब दें।
आगामी लोकसभा चुनाव में हार जीत को लेकर कयास लगाने का दौर शुरू हो गया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि यदि मोदी सरकार ने एससी एसटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों के आधार पर लागू किया तो दलित वोटर पार्टी से खिसक जाएगा और यदि नहीं किया तो इस बार सवर्ण वोटर मोदी सरकार को चुनाव में बड़ा नुकसान पहुंचाएगा। वोटर इस बार जातिगत समीकरण फिट बैठाने में लगा है तो पार्टियां भी इसी फॉर्मूले पर काम कर रही हैं। बसपा नेता पार्टी मुखिया को दलितों की राजधानी से चुनाव लड़ाने की कोशिश में जुट गए हैं। जिस तरीके से राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, मुलायम सिंह और अन्य बड़े नेता कहीं से खड़े होकर चुनाव जीत जाते हैं। बसपाई चाहते हैं कि मायावती इस चुनाव में आगरा से खड़ी हों और विरोधियों को मुंह तोड़ जवाब दें।
मायावती का गढ़ रहा है आगरा
गौरतलब है कि आगरा मायावती का सबसे मजबूत गढ़ रहा है। यहां एक समय छह विधायक हुआ करते थे। वहीं 2009 में बसपा से सीमा उपाध्याय ने जीत हासिल की थी। 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भी बसपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। इस बार एससी एसटी एक्ट ने माहौल बदल दिया है तो दलित चाहते हैं कि इस मौके का लाभ पार्टी को मिले। बसपाई अभी से मायावती को चुनाव लड़ाने के लिए माहौल बनाने में जुट गए हैं।
गौरतलब है कि आगरा मायावती का सबसे मजबूत गढ़ रहा है। यहां एक समय छह विधायक हुआ करते थे। वहीं 2009 में बसपा से सीमा उपाध्याय ने जीत हासिल की थी। 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भी बसपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। इस बार एससी एसटी एक्ट ने माहौल बदल दिया है तो दलित चाहते हैं कि इस मौके का लाभ पार्टी को मिले। बसपाई अभी से मायावती को चुनाव लड़ाने के लिए माहौल बनाने में जुट गए हैं।