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Citizenship Amendment Act पर साहित्यकारों की महत्वपूर्ण राय

locationआगराPublished: Jan 09, 2020 11:30:32 am

Submitted by:

Bhanu Pratap

भ्रम दूर करने के लिए बुद्धिजीवी आगे आएं- एड. सुरेन्द्र कुमार गुप्ता
घुसपैठियों की वजह से पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक विरासत संकट में- श्रुति सिन्हा

Surendra gupta

Surendra gupta

आगरा। नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) की जानकारियों, तथ्यों व समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से नागरिक संशोधन अधिनियम जागरूकता मंच के तत्वावधान में बिजलीघर स्थित बुद्धविहार के पास एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में नगर के साहित्यकार बंधुओं को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एड. सुरेन्द्र कुमार गुप्ता (Surendra Kumar Gupta) ने कहा कि इस कानून से देश का कोई भी नागरिक चाहे, वह किसी भी धर्म या क्षेत्र का हो, प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि तीन पड़ोसी देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत में शरण चाहने वाले हिन्दू (Hindu), सिख (Sikh), ईसाई (Christian), पारसी (Zoroastrian), बौद्ध (Buddhist) और जैन (jain) समुदाय के लोगों को सीएए 2019 (CAA 2019) नागरिकता देने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी समाज में इस कानून को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए आगे आएं।
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संवाद स्थापित हो
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रुति सिन्हा ने कहा कि पूर्वोत्तर में बड़ी संख्या में घुसपैठियों की वजह से वहां की सांस्कृतिक विरासत संकट में है। राष्ट्रीय अस्मिता के सवाल को अनदेखा नहीं किया जा सकता। भारत में शरण चाहने वालों को नियमानुसार आवेदन करके भारत से शरण मांगनी चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजेंद्र मिलन ने कहा कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। सरकार को आगे आकर समाज से संवाद स्थापित करना चाहिए।
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कानून को समझने की सलाह

कवि राकेश निर्मल जी ने कहा कि ऐसा लगता है कि जेएनयू में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण अपनी इच्छा से नहीं, अपितु किसी के प्रेरित करने से गईं हैं। उन्हें छात्रों को समझाना चाहिए था। स्तंभकार डॉ. अमी आधार निडर ने कहा कि कानून को लेकर जबरन भ्रम पैदा किया जा रहा है। संवाद से इसे दूर करना चाहिए। जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) अशोक चौबे जी ने कहा कि देशभर में प्रदर्शन करने वाले पहले सीएए कानून को समझें, कानून में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे उन्हें प्रदर्शन करना पड़े।
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भ्रमित होने की जरूरत नहीं

परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए सुर आंनद संस्था के संस्थापक इजी. सुरेंद्र बंसल ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून का भारतीय नागरिकों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय नागरिकों को संविधान में जो मूल अधिकार मिले हैं, उस पर कोई खतरा नहीं है। इसलिए किसी को भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। परिचर्चा में खतेंद्र सिंह, निशांत चतुर्वेदी, रेखा नागपाल, ममता गोयल, राहुल सिंह ने भी विचार रखे। परिचर्चा के संयोजक मनमोहन निरंकारी ने धन्यवाद दिया।
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