scriptसावधान! महिलाओं में तेजी से बढ़ रही ये बीमारी, भारत में हर चार में तीन महिलाएं इस गंभीर रोग से ग्रसित | Cancer in the uterus big problem in women health news | Patrika News
आगरा

सावधान! महिलाओं में तेजी से बढ़ रही ये बीमारी, भारत में हर चार में तीन महिलाएं इस गंभीर रोग से ग्रसित

भारत में हर चार में तीन महिलाएं गर्भाशय की किसी न किसी गंभीर समस्या से ग्रसित

आगराApr 28, 2019 / 06:40 pm

धीरेंद्र यादव

Cancer

Cancer

आगरा। गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। आंकड़ों की मानें तो हर चार में से तीन महिला गर्भाशय की किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होती हैं। लेकिन अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं चलता कि उनके गर्भाशय में कोई समस्या है, क्योंकि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं में ही इसकी असामान्यता के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण अनियमित पीरियड्स से लेकर बांझपन तक हो सकते हैं। इन छोटे-छोटे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं। यह कहना है विशेषज्ञों का।
रेनबो हॉस्पिटल में दूरबीन विधि से गर्भाशय निकालने (लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरोक्टमी) को लेकर रविवार को एक दिवसीय मास्टर क्लास आयोजित की गई। इसमें देश के नामी चिकित्सकों ने विभिन्न शहरों से आए स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को बिना पेट पर चीरा लगाए योनि मार्ग के जरिए गर्भाशय निकालने का प्रशिक्षण दिया। रेनबो हॉस्पिटल के निदेशक एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा, डॉ. जयदीप मल्होत्रा के साथ ही धर्मशिला कैंसर इंस्टीट्यूट और पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली के डॉ. अरविंद चौहान एवं डा. बिजॉय नायक ने डॉक्टरों को लाइव ऑपरेटिव सर्जरी के जरिए दूरबीन विधि से गर्भाशय निकालने की आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया।
डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि एंडोनयोमसिस, गर्भाशय के कैंसर, यूटेरिन प्रोलेप्स, फाइब्रॉयड्स, एब्नॉर्मल यूटराइन ब्लीडिंग, क्रोनिक पेल्विक पेन की अति गंभीर मामलों में कई बार गर्भाशय निकालने की जरूतर पड़ सकती है। कई प्राणघातक बीमारियों के साक्ष्य पाए जाने पर गर्भाशय को निकालना ही बेहतर विकल्प है। डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि एब्डॉमिनल हिस्टेरोक्टमी में पेट में चीरा लगाकर गर्भाशय को निकाला जाता है, जबकि वेजाइनल हिस्टेरोक्टमी एक आधुनिक शल्य चिकित्सा है, जिसमें गर्भाशय को योनि मार्ग से हटाया जाता है। इसमें किसी तरह की चीर-फाड़ नहीं की जाती। यह दर्द रहित प्रक्रिया होती है। संक्रमण का खतरा कम रहता है। मरीज को अस्पताल से जल्द छुट्टी मिल जाती है। गर्भाशय कैंसर की संभावना को जड़ से खत्म करने के लिए हिस्टेरोक्टमी की जरूरत पड़ती है।
70 फीसद तक महिलाएं फाइब्रॉयड्स से पीड़ित
डॉ. अरविंद चौहान ने बताया कि फाइब्रॉयड्स गर्भाशय की मांसपेशीय परत में होने वाला एक कैंसर रहित ट्यूमर है। इसका आकार मटर के दाने से लेकर तरबूज के बराबर तक हो सकता है। कभी-कभी इन ट्यूमर में कैंसरग्रस्त कोशिकाएं भी विकसित हो जाती हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 70 फीसद तक महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं, जिनमें अधिकांशतः कोई लक्षण भी नजर नहीं आते। वहीं गर्भाशय कैंसर और दूसरी प्राणघातक परेशानियों के लक्षण गर्भाशय में पाए जाने पर इसे निकाल देना ही बेहतर होता है।
गर्भाशय कैंसर
गर्भाशय का कैंसर गर्भाशय से संबंधित सबसे गंभीर समस्या है। शुरुआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन धीरे-धीरे लक्षण गंभीर होते जाते हैं। हालांकि इसका पता लगने पर गर्भाशय को निकाल देना ही सबसे सही तरीका है, ताकि कैंसर फैलने की संभावना को खत्म कर इसे खत्म किया जा सके।
वेजाइनल लेप्रोस्कोपी हिस्टेरोक्टमी के फायदे
– संक्रमण का खतरा कम
– काफी कम या न के बराबर ब्लड लॉस
– अतिशीघ्र रिकवरी
– अस्पताल से एक या दो दिन में छुट्टी
– बडे़ एवं भद्दे चीरों के निशानों से छुटकारा
– दर्द रहित शल्य चिकित्सा
– ऑपरेशन के बाद होने वाली समस्याओं से मुक्ति

UP News से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Uttar Pradesh Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..

UP Lok sabha election Result 2019 से जुड़ी ताज़ा तरीन ख़बरों, LIVE अपडेट तथा चुनाव कार्यक्रम के लिए Download करें patrika Hindi News App .
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो