डॉक्टर के परामर्श पेपर से हुई कैसर पीड़ित की पहचान
थाना जगदीशपुरा के कलवारी निवासी 60 वर्षीय लीलाधर शुक्रवार को जिला मुख्यालय पहुंचा था। जहां उसका शव पड़ा मिला। शव होने की सूचना पुलिस को दी गई। इस दौरान शव के पास देखा गया, तो उसके हाथ में एक थैला पाया गया, जिसमें डॉक्टर के परामर्श के पेपर थे। लीलाधर बीते तीन दिन से कलक्ट्रेट परिसर में कैंसर के इलाज के लिए आर्थिक मदद को चक्कर काट रहा था। लीलाधर की मौत की सूचना उसके परिजनों को दी गई। परिजनों ने बताया कि लीलाधर राजमिस्त्री था। परिवार ने बताया कि करीब आठ माह पहले उसके गले में दर्द हुआ था। जब चिकित्सक से परामर्श लिया गया, तो उन्होंने कैंसर होने की जानकारी दी। इसके बाद वह घबरा गया। असहनीय दर्द होेने पर उसने काम छोड़ दिया था।
थाना जगदीशपुरा के कलवारी निवासी 60 वर्षीय लीलाधर शुक्रवार को जिला मुख्यालय पहुंचा था। जहां उसका शव पड़ा मिला। शव होने की सूचना पुलिस को दी गई। इस दौरान शव के पास देखा गया, तो उसके हाथ में एक थैला पाया गया, जिसमें डॉक्टर के परामर्श के पेपर थे। लीलाधर बीते तीन दिन से कलक्ट्रेट परिसर में कैंसर के इलाज के लिए आर्थिक मदद को चक्कर काट रहा था। लीलाधर की मौत की सूचना उसके परिजनों को दी गई। परिजनों ने बताया कि लीलाधर राजमिस्त्री था। परिवार ने बताया कि करीब आठ माह पहले उसके गले में दर्द हुआ था। जब चिकित्सक से परामर्श लिया गया, तो उन्होंने कैंसर होने की जानकारी दी। इसके बाद वह घबरा गया। असहनीय दर्द होेने पर उसने काम छोड़ दिया था।
आर्थिक मदद को काट रहा था चक्कर
लीलाधर के परिजनों का कहना है कि गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पा रहा था। किसी ने जानकारी दी थी कि कैंसर के इलाज के लिए सरकारी मदद मिल सकती है। वह कलेक्ट्रेट जाकर जिलाधिकारी से मिले। बताया गया है कि पिछले तीन दिन से वह जिला मुख्यालय आ रहा था। अधिकारियों के सामने क्या कहना है। कैसे मदद मिलेगी। यह उसने कुछ लोगों से पूछा भी। किसी ने उसकी मदद नहीं की। वह परेशान हो गया। एक अधिवक्ता के चैंबर के बाहर बैठ जाता। लोगों के छोटे-मोटे काम कर दिया करता था। इसके एवज में उसे कुछ पैसे मिल जाते थे। शुक्रवार को कलक्ट्रेट आ गया, मदद के लिए किसी अधिकारी से मिलता इससे पहले उसकी मौत हो गई। सीओ, कोतवाली अब्दुल कादिर का कहना है कि लीलाधर कलक्ट्रेट के एक वकील के मुंशी का रिश्तेदार था। उसके साथ काम करता था। खून की उल्टी के बाद उसकी मौत हुई। पोस्टमार्टम रिपोट के बाद कुछ भी स्पष्ट हो सकेगा।
लीलाधर के परिजनों का कहना है कि गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पा रहा था। किसी ने जानकारी दी थी कि कैंसर के इलाज के लिए सरकारी मदद मिल सकती है। वह कलेक्ट्रेट जाकर जिलाधिकारी से मिले। बताया गया है कि पिछले तीन दिन से वह जिला मुख्यालय आ रहा था। अधिकारियों के सामने क्या कहना है। कैसे मदद मिलेगी। यह उसने कुछ लोगों से पूछा भी। किसी ने उसकी मदद नहीं की। वह परेशान हो गया। एक अधिवक्ता के चैंबर के बाहर बैठ जाता। लोगों के छोटे-मोटे काम कर दिया करता था। इसके एवज में उसे कुछ पैसे मिल जाते थे। शुक्रवार को कलक्ट्रेट आ गया, मदद के लिए किसी अधिकारी से मिलता इससे पहले उसकी मौत हो गई। सीओ, कोतवाली अब्दुल कादिर का कहना है कि लीलाधर कलक्ट्रेट के एक वकील के मुंशी का रिश्तेदार था। उसके साथ काम करता था। खून की उल्टी के बाद उसकी मौत हुई। पोस्टमार्टम रिपोट के बाद कुछ भी स्पष्ट हो सकेगा।