हर वर्ष दो लाख नए मरीज
एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि खान-पान व जीवन शैली के चलते भारत में हर साल दो लाख कैंसर के नए मरीज पैदा हो रहे हैं। 40 फीसद मुंह और गले के कैंसर के मरीज हैं, महिलाओं के कैंसर में 25 से 30 फीसद स्तन कैंसर के मामले आ रहे हैं। कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में पता चलने पर रोबोटिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से इलाज कर जान बचाई जा सकती है। मगर, कैंसर का देर से पता चलने व समय पर इलाज न मिलने के चलते 50 फीसद कैंसर रोगियों की मौत हो रही है। इसे कम करने के लिए मेडिकल कॉलेज में कैंसर विभाग के प्रोफेसर दो की जगह तीन पीजी स्टूडेंट को प्रशिक्षण दे सकते हैं। अभी देश में 100 कैंसर सर्जन हर वर्ष तैयार हो रहे हैं। इनकी संख्या बढ़ाने की कवायद चल रही है।
एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि खान-पान व जीवन शैली के चलते भारत में हर साल दो लाख कैंसर के नए मरीज पैदा हो रहे हैं। 40 फीसद मुंह और गले के कैंसर के मरीज हैं, महिलाओं के कैंसर में 25 से 30 फीसद स्तन कैंसर के मामले आ रहे हैं। कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में पता चलने पर रोबोटिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से इलाज कर जान बचाई जा सकती है। मगर, कैंसर का देर से पता चलने व समय पर इलाज न मिलने के चलते 50 फीसद कैंसर रोगियों की मौत हो रही है। इसे कम करने के लिए मेडिकल कॉलेज में कैंसर विभाग के प्रोफेसर दो की जगह तीन पीजी स्टूडेंट को प्रशिक्षण दे सकते हैं। अभी देश में 100 कैंसर सर्जन हर वर्ष तैयार हो रहे हैं। इनकी संख्या बढ़ाने की कवायद चल रही है।
ये है अत्याधुनिक तकनीकि
डॉ राजीव सिन्हा (झांसी) ने बताया कि महिलाएं ऑपरेशन के चीरे और लेप्रोस्कोपिक विधि से होने वाले छेद से बचना चाहती हैं। इसके लिए 2008 में नाभि के माध्यम से लेप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेशन करना शुरू किया। वे चार हजार ऑपरेशन कर चुके हैं। इसमें हर्निया से लेकर पित्त की थैली की पथरी के ऑपरेशन शामिल हैं। डॉ योगेश मिश्रा लखनऊ ने बताया कि अब लेप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेशन के लिए छोटे से छोटे छेद करने की तकनीकी पर काम चल रहा है। तीन मिलीमीटर के छेद से ऑपरेशन किए जा रहे हैं। साथ ही रोबोटिक और लेप्रोस्कोपिक विधि की अत्याधुनिक तकनीकी में एक मिलीमीटर की चीज एक सेंटीमीटर की दिखाई देती है।
जिला अस्पतालों में नहीं होते सामान्य ऑपरेशन
एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने सरकारी सिस्टम पर चिंता जताते हुए कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में मरीजों की बीमारी की डायग्नोसिस के साथ हर्निया सहित अन्य ऑपरेशन हो जाने चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है। यहां से मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंच जाते हैं। इसके चलते मेडिकल कॉलेज में सामान्य हर्निया और पित्त की थैली के ऑपरेशन किए जा रहे हैं, जबकि जटिल ऑपरेशन होने चाहिए।
एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने सरकारी सिस्टम पर चिंता जताते हुए कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में मरीजों की बीमारी की डायग्नोसिस के साथ हर्निया सहित अन्य ऑपरेशन हो जाने चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है। यहां से मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंच जाते हैं। इसके चलते मेडिकल कॉलेज में सामान्य हर्निया और पित्त की थैली के ऑपरेशन किए जा रहे हैं, जबकि जटिल ऑपरेशन होने चाहिए।
एसएन में हुए 16 ऑपरेशन
प्रदेश के जाने माने सर्जनों ने एसएन में 16 ऑपरेशन किए, इनका लाइव टेलीकास्ट कांफ्रेंस स्थल होटल ग्रांड इम्पीरियल में किया गया। यहां कांफ्रेंस में भाग लेने वाले 70 पीजी स्टूडेंट्स को ऑपरेशन से जुडे सवालों के जवाब दिए व नई तकनीकों की ट्रेनिंग दी गई। ऑपरेशन मुख्यतः बीएचयू के डॉ. मनोज पांडे, झांसी मेडिकल कॉलेज के डॉ. राजीव सिन्हा, लखनऊ के डॉ. योगेश मिश्रा, वाराणासी के डॉ. मनीष जिंदल, डॉ. सिरेन्द्र पाठक, डॉ. प्रशान्त लवानिया, डॉ. एचएल राजपूत, आलोक कुमार आदि द्वारा किए गए।
प्रदेश के जाने माने सर्जनों ने एसएन में 16 ऑपरेशन किए, इनका लाइव टेलीकास्ट कांफ्रेंस स्थल होटल ग्रांड इम्पीरियल में किया गया। यहां कांफ्रेंस में भाग लेने वाले 70 पीजी स्टूडेंट्स को ऑपरेशन से जुडे सवालों के जवाब दिए व नई तकनीकों की ट्रेनिंग दी गई। ऑपरेशन मुख्यतः बीएचयू के डॉ. मनोज पांडे, झांसी मेडिकल कॉलेज के डॉ. राजीव सिन्हा, लखनऊ के डॉ. योगेश मिश्रा, वाराणासी के डॉ. मनीष जिंदल, डॉ. सिरेन्द्र पाठक, डॉ. प्रशान्त लवानिया, डॉ. एचएल राजपूत, आलोक कुमार आदि द्वारा किए गए।