आगरा

BIG NEWS: जानलेवा कैंसर से बचना है, तो ये वैक्सीन करेगा काम, दूर रहेगा ये खतरनाक रोग

स्त्री एवं बाल रोग विशेषज्ञों को बताया कैसे एक वैक्सीन बचा सकती है महिलाओं की जान

आगराMar 29, 2019 / 07:41 pm

धीरेंद्र यादव

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आगरा। सर्वाइकल कैंसर, हर सात मिनट में हम खो देते हैं, एक मां, एक बहन, एक पत्नी, बेटी या एक दोस्त को। एक मात्र कैंसर जिसका संपूर्ण इलाज संभव भी है। सही समय पर जांच, वैक्सीनेशन और इलाज से सर्वाइकल कैंसर को जड़ से खत्म कर सकते हैं। यह जानकारी रेनबो हाॅस्पिटल के निदेशक व आगरा के वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने दी।
यहां हुआ कार्यक्रम
एमएसडी फार्मास्युटिकल्स की ओर से मथुरा के विंग्सटन होटल में गुरूवार को स्त्री एवं बाल रोग विशेषज्ञों के साथ एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें बतौर मुख्य वक्ता आगरा के डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने किशोरियों में सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन की भूमिका विषय पर जानकारी दी। डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि कैंसर को लेकर समाज में पर्याप्त जागरुकता आ रही है। इसके बावजूद एक ऐसा कैंसर है जिसकी रोकथाम को लेकर कोई खास चर्चा नहीं हो रही है। यह कैंसर है सर्वाइकल कैंसर या गर्भाशय के मुंह का कैंसर। ऐसा तब है जब एक मोटे अनुमान के मुताबिक हर साल लगभग 70 हजार महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की वजह से अपनी जान गंवाती हैं। बे्रस्ट कैंसर के बाद महिलाओं की जान लेने वाला यह दूसरा सबसे प्रमुख कैंसर है। हालांकि इस कैंसर की रोकथाम और बचाव के लिए वैक्सीन मौजूद हैं। लिवर कैंसर के बाद यह दूसरा कैंसर है, जिसे वैक्सीनेशन की मदद से रोका जा सकता है, लेकिन लोग इसके बारे में नहीं जानते।

एचपीवी वायरस से करती है बचाव
सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस एचपीवी की वजह से होता है। यह वायरस यौन गतिविधियों के जरिए फैलता है। इसलिए इसे विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का जोर इस बात पर है कि इसे किशोरावस्था में ही लड़कियों को लगा दिया जाए।
किशोरियों को अधिक फायदा
एक बार इनफेक्शन हो जाने के बाद इस वैक्सीन का फायदा नहीं होता। इसलिए विशेषज्ञों ने इसके लिए 09 से 12 वर्ष की आयु में ही लगाने की सलाह दी है। इस वैक्सीन के तीन डोज होते हैं जो उनके तय समय पर दिए जाने चाहिए।
पैप स्मीयर टेस्ट जरूरी
पैप स्मीयर टेस्ट को जरूरी बताया गया है। इसी टेस्ट के जरिए पता चलता है कि सर्वाइकल कैंसर है या नहीं। यह टेस्ट वैक्सीनेशन के बाद भी जरूरी है।

09 से 45 वर्ष के बीच लगते हैं टीके
डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 09 साल की लड़कियों से लेकर 45 साल की महिलाएं तक इस वैक्सीन को लगवा सकती हैं। डाॅक्टरों की निगरानी में यह वैक्सीन तीन चरणों में लगाई जाती है, जिसके लिए समय निर्धारित है। यौन संबंध स्थापित करने से पहले ही वैक्सीन लगवा लेना ज्यादा जरूरी है।
ये रहे मौजूद
इस दौरान डॉ. मीना सूद, डॉ. अनुराधा माहेश्वरी, डॉ. सिद्धार्थ कुमार, डॉ. अभिषेक अग्रवाल, डॉ. केके अग्रवाल, डॉ. अनंत व्यास, डॉ. अनिल अग्रवाल, डॉ. अंशु शर्मा, डॉ. लक्ष्मी शर्मा, डॉ. शैफाली अग्रवाल, डॉ. प्रीति गोयल, डॉ. रचना अग्रवाल, डॉ. बीपी माहेश्वरी, डॉ. गणेश शर्मा, डॉ. केजी बंसल, डॉ. एमके गुप्ता, डॉ. नरेश अग्रवाल, डॉ. पवन अग्रवाल, डॉ. पीके गुप्ता, डॉ. आरके चतुर्वेदी,डॉ. आरके उप्पल, डॉ. संजय गुप्ता आदि मौजूद थे।

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