आगरा

चैत्र नवरात्र 2018: ऐसे पूजन करने पर मिलेगा पूर्ण फल

जानें नवरात्र में माता के पूजन करने की सही विधि, दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही तरीका।

आगराMar 19, 2018 / 12:38 pm

suchita mishra

चैत्र नवरात्र शुरू हो चुके हैं। इस मौके पर माता रानी की पूजा के लिए लोग कलश स्थापना, दुर्गा चालीसा पाठ, दुर्गा सप्तशती का पाठ, मंत्रोच्चारण आदि तमाम तरीके आजमाते हैं। लेकिन कई बार उन्हें पूजन की सही विधि नहीं मालूम होती, जिसके कारण उन्हें पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। नवरात्र के इस पावन अवसर पर ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं पूजन का सही तरीका।
पूजन विधि
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि कोई भी पूजन शुरू करने से पहले गणपति और सभी देवी देवताओं, नवग्रह और नदियों आदि का आवाह्रन करें फिर हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर पूजा का संकल्प लें। उसके बाद जल, अक्षत, पुष्प, घी का दीपक, धूप और नैवेद्य आदि अर्पित करें और सबसे पहले गुरु वंदना करें। इसके बाद पूजन आरंभ करके मां दुर्गा के मंत्र , दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करें।
सप्तशती के पाठ में ध्यान रखें
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती के पाठ करते समय कुछ बातें याद रखनी चाहिए। जैसे यदि आप कीलक का पाठ कर रहे हैं तो उसे मन ही मन पढें ताकि जिससे उसका असर आप तक ही रहे। लेकिन कवच और अर्गला स्त्रोत पढ़ते समय पाठ की शुरुआत उच्च स्वर में करें, लेकिन समापन मंद स्वर में करें। यदि आप संस्कृत में पाठ नहीं कर सकते हों तो हिंदी में करें क्योंकि भगवान सिर्फ भावना के भूखे होते हैं, भाषा से इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पाठ करने के बाद एक कन्या का पूजन कर उसे भोजन अथवा फलाहार कराकर दक्षिणा दें।
अंत में जरूरी है क्षमा याचना
माता के पूजन में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। आप चाहें तो नौ दिनों की अवधि में देवी भागवत महापुराण भी पढ़ सकते हैं। सप्तशती की तरह देवी भागवत का पाठ करने से भी माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं। पूजन के बाद माता से भूलवश हुई किसी भी चूक की क्षमा याचना जरूर करें। यदि संकल्प करके आप नौ दिनों तक कोई भी पाठ रोजाना करते हैं, तो माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, भय नहीं लगता, घर के सभी संकट दूर होते हैं और मनचाहे कार्य सिद्ध होते हैं।
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