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Devshayani Ekadashi 2019 : आज शयन के लिए चले जाएंगे भगवान विष्णु, होगी चतुर्मास की शुरुआत, जानिए इसका महत्व

locationआगराPublished: Jul 11, 2019 05:44:07 pm

Submitted by:

suchita mishra

जानिए Devshayni Ekadashi, चतुर्मास और इसका महत्व व देवशयनी एकादशी की पूजन विधि के बारे में।

Devshayani Ekadashi

Devshayani Ekadashi

आगरा। आषाढ़ की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक के चार महीने के समय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक चतुर्मास भगवान विष्णु का शयनकाल कहलाता है। इस दौरान संसार के पालनहार भोलेनाथ होते हैं। चतुर्मास के दौरान शादी, मुंडन, सगाई, तिलक आदि मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
ये है महत्व
चतुर्मास को ईश वंदना का विशेष पर्व माना जाता है। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के बीच के चार महीने में विविध प्रकार के व्रत, उपवास, पूजा और अनुष्ठान आदि करने के नियम बताए गये हैं। इस अवधि में उपवास व पूजन आदि से अनेक प्रकार ही सिद्धियां प्राप्त होती हैं। चतुर्मास में व्रत करने वाले व्यक्ति को मांस, मधु, शैया से दूरी बनानी चाहिए। गुड़, तेल, दूध दही और बैंगन का सेवन से परहेज करना चाहिये।
जानिए किसे त्यागने से क्या प्राप्त होता
पुराणों के अनुसार मान्यता है कि चतुर्मास में गुड़ का त्याग करने से मधुर स्वर प्राप्त होता है। तेल का त्याग करने से पुत्र-पौत्र की प्राप्ति होती है। कड़वे तेल के त्याग से शत्रुओं का नाश होता है। घृत के त्याग से सौन्दर्य की प्राप्ति होती है। शाक के त्याग से बुद्धि में वृद्धि होती, दही एवं दूध के त्याग से वंश वृद्धि होती है। नमक के त्याग से मनोवांछित कार्य पूर्ण होता है। इस दौरान पुरुष सूक्त, विष्णु सहस्त्रनाम अथवा भगवान विष्णु के विशेष मंत्रों द्वारा उनकी उपासना करनी चाहिए।
देवशयनी एकादशी पर इस तरह करें पूजन
भगवान विष्णु के विग्रह को पंचामृत यानी दूध, दही, गंगाजल, शहद और घी से स्नान कराकर रोली या चंदन का टीका लगाएं। पुष्प, धूप-दीप आदि से पूजन करना चाहिए। उसके बाद सामर्थ्य के अनुसार चांदी, पीतल आदि की शय्या के ऊपर बिस्तर बिछाकर पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाएं व भगवान को शयन करवाएं।
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