यह भी पढ़ें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने की राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों की घोषणा, देखें सूची कोई भेदभाव नहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह पंकज खंडेलवाल ने कहा कि इस अधिनियम में भारत के पड़ोसी देशों में उत्पीड़ित समाज के लोगों को लाभ दिया गया है। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि जो पूर्वोत्तर के राज्य हैं, उनके अधिकारों, भाषा, संस्कृति सामाजिक पहचनान को सुरक्षित करने के लिए इसमें पर्याप्त प्रावधान हैं।
यह भी पढ़ें कोर्ट में भाजपा सांसद के हाजिर न होने पर जज ने दिखायी सख्ती, 10 दिनों के अंदर गिरफ्तार करने का IG को दिया आदेश यह कानून समय की आवश्यकता जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) एड. अशोक चौबे ने सीएए के विधिक प्रावधानों पर चर्चा करते हुए कहा कि इस कानून के उद्देश्यों एवं कारणों में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे शरणार्थियों को, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्धारित तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, उनके नागरिकता संबंधी विषयों के लिए एक विशेष विधायी व्यवस्था बनायी गई है। वरिष्ठ कैंसर चिकित्सक डॉ. संदीप अग्रवाल ने कहा कि सीएए कानून समय की आवश्यकता है। जेएनयू की वर्तमान स्थित पर उन्होंने कहा कि वहां पर अनुशासन बनाये रखना बेहद जरूरी है।
यह भी पढ़ें कालिंदी के ‘कष्ट’ निवारण के लिए ऊर्जा मंत्री ने की केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से ये मांग हर स्थिति में देश के साथ खड़ा होना बेहद जरूरी परिचर्चा में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होंत्रा ने कहा कि हर स्थिति में देश के साथ खड़ा होना बेहद जरूरी है। डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि हर स्थिति में संवाद को स्थापित करना चाहिए। सड़कों पर निकल कर सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना ठीक नहीं। परिचर्चा में विभाग प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी, मातृमंडल सेवा भारती की क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख रीना सिंह, डॉ. दीपिका गुप्ता जी, डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने अपने विचार रखे। परिचर्चा में निर्मला सिंह, मयूरी मित्तल, रूबी शाक्या, अनीता दुबे, शिखा जैन, शिवम चावला, अक्षत नागिया, वेदपाल धर, हिंमाशु सचदेवा, राजकुमार घई, यशवीर, कृष्ण कुमार गोयल आदि उपस्थित रहे। धन्यवाद परिचर्चा की संयोजिका आहार विशेषज्ञ डॉ. रेनुका डंग ने दिया।