ये कहना
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के महासचिव अनिल शर्मा ने कहा कि वैसे भी अगर आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के स्टैंडर्ड वाला सिविल एन्कलेव बन जायेगा, तो दिल्ली के इंन्दिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर यात्रियों का दबाव ही नहीं रह जाएगा, जो कि जैवर में नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट भवष्य की जरूरत के नाम पर बनवाकर आगरा के हकों को चोट पहुंचाई जाए। उन्होंने कहा कि आगरा के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को गौतम बुद्धनगर क्षेत्रवादी संकीर्ण सोच का ही प्रयास है। हमारा मानना है कि जिनकी जमीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए ली जाएगी, उन्हें तो भरपूर मुआवजा मिलेगा, किन्तु जो 23 गांव उजडेंगे उनके वे भूमिहीन क्या करेंगे और कहां जाएंगे वो जोकृषि उत्पादन और पशुपालन की प्रक्रियाओं से ही अपनी रोजी रोटी चलाते रहे हैं।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के महासचिव अनिल शर्मा ने कहा कि वैसे भी अगर आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के स्टैंडर्ड वाला सिविल एन्कलेव बन जायेगा, तो दिल्ली के इंन्दिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर यात्रियों का दबाव ही नहीं रह जाएगा, जो कि जैवर में नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट भवष्य की जरूरत के नाम पर बनवाकर आगरा के हकों को चोट पहुंचाई जाए। उन्होंने कहा कि आगरा के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को गौतम बुद्धनगर क्षेत्रवादी संकीर्ण सोच का ही प्रयास है। हमारा मानना है कि जिनकी जमीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए ली जाएगी, उन्हें तो भरपूर मुआवजा मिलेगा, किन्तु जो 23 गांव उजडेंगे उनके वे भूमिहीन क्या करेंगे और कहां जाएंगे वो जोकृषि उत्पादन और पशुपालन की प्रक्रियाओं से ही अपनी रोजी रोटी चलाते रहे हैं।
नहीं है कोई योजना
उन्होंने बताया कि वैसे हकीकत यह है कि इन भूमिहीनों की छोड़िए सरकार के पास एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 2500 एकड़ जमीन के अर्जन तक को धन उपलब्ध करवाने को कोई कार्य योजना नहीं है। विदेशी कंपनियों को निवेश करने की संभावनाओं पर बुलाया जाता रहा, किन्तु अब तक तो कोई भी निवेशक सरकार नहीं ढूढ सकी। वैसे न्यूनतम 20 हजार करोड़ की इस प्राजेक्ट की जमीन अधिग्रहण के लिए जरूरत आंकी गई है, जो यूपी सरकार के बजट की स्थिति देखते हुए न तो संभव ही है और नहीं उपलब्ध करवाना व्यवाहरिक ही। ग्रेटर और नोयडा क्षेत्र उत्पादन इकाईयों के लिए जरूर उपयोगी साबित हुआ है, किन्तु महत्वाकांक्षी बड़ी योजनाओं के मामले में बेहद घाटे वाला ही रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे सबसे बड़ा असफल प्रयोग साबित हुआ है। निवेश कर्त्ता अपने को कर्ज से उबारने को इसे विदेशी कंपनी को बेचना चाहती थीं, जो कि कोर्ट की अनुमति न मिलने के कारण अब तक रूका हुआ है। इंटरनेशनल स्पोर्ट कांप्लेक्स, इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम और फार्मूला वन जैसे ईवेंट के लिए बनाये आटोमोबाइल रेस ट्रेक तक फेल हो गए हैं। थीम पार्क प्रोजेक्ट बनवाने का मंसूबा रखने वाले वाली वुडस्टार प्रोजेक्ट के लिए आवंटित एक हजार एकड़ जमीन सरेंडर कर मैदान छोड़ चुके हैं।
उन्होंने बताया कि वैसे हकीकत यह है कि इन भूमिहीनों की छोड़िए सरकार के पास एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 2500 एकड़ जमीन के अर्जन तक को धन उपलब्ध करवाने को कोई कार्य योजना नहीं है। विदेशी कंपनियों को निवेश करने की संभावनाओं पर बुलाया जाता रहा, किन्तु अब तक तो कोई भी निवेशक सरकार नहीं ढूढ सकी। वैसे न्यूनतम 20 हजार करोड़ की इस प्राजेक्ट की जमीन अधिग्रहण के लिए जरूरत आंकी गई है, जो यूपी सरकार के बजट की स्थिति देखते हुए न तो संभव ही है और नहीं उपलब्ध करवाना व्यवाहरिक ही। ग्रेटर और नोयडा क्षेत्र उत्पादन इकाईयों के लिए जरूर उपयोगी साबित हुआ है, किन्तु महत्वाकांक्षी बड़ी योजनाओं के मामले में बेहद घाटे वाला ही रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे सबसे बड़ा असफल प्रयोग साबित हुआ है। निवेश कर्त्ता अपने को कर्ज से उबारने को इसे विदेशी कंपनी को बेचना चाहती थीं, जो कि कोर्ट की अनुमति न मिलने के कारण अब तक रूका हुआ है। इंटरनेशनल स्पोर्ट कांप्लेक्स, इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम और फार्मूला वन जैसे ईवेंट के लिए बनाये आटोमोबाइल रेस ट्रेक तक फेल हो गए हैं। थीम पार्क प्रोजेक्ट बनवाने का मंसूबा रखने वाले वाली वुडस्टार प्रोजेक्ट के लिए आवंटित एक हजार एकड़ जमीन सरेंडर कर मैदान छोड़ चुके हैं।
आगरा से मिलेगा लाभ
सब कुछ जानते और समझते हुए भी 24 हजार करोड़ खर्च कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाता है, तो वह निश्चित रूप से निवेश्ाकों के लिये नॉन परफोर्मिंग ऐसेट ही साबित होगा। आगरा में भले ही शैड्यूल्ड फ्लाइटें राजनीतिज्ञ नहीं लाने देते हों, किन्तु एक हजार से ज्यादा चार्टर जरूर हर साल आते हैं। फलस्वरूप एयरपोर्ट अथार्टी को यहां किया गया निवेश अखरता नहीं है। जबकि यूपी के वराणसी और लखनऊ सहित सभी एयरपोर्ट बेहद घाटे में संचालित हैं। यही नही इनको प्रमोशनल और रियाती किराये वाली फ्लाइटों को चलवाने के बाबजूद फायदे में लाए जाने की कोई संभावना नहीं है। वहीं आगरा में इसके लिये पर्याप्त संभावनाएं विद्यमान हैं।भारत सरकार की प्रमुख सर्वे कंपनी रॉयट्रस तक की रिपोर्ट आगरा के पक्ष में ही रही है ।
सब कुछ जानते और समझते हुए भी 24 हजार करोड़ खर्च कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाता है, तो वह निश्चित रूप से निवेश्ाकों के लिये नॉन परफोर्मिंग ऐसेट ही साबित होगा। आगरा में भले ही शैड्यूल्ड फ्लाइटें राजनीतिज्ञ नहीं लाने देते हों, किन्तु एक हजार से ज्यादा चार्टर जरूर हर साल आते हैं। फलस्वरूप एयरपोर्ट अथार्टी को यहां किया गया निवेश अखरता नहीं है। जबकि यूपी के वराणसी और लखनऊ सहित सभी एयरपोर्ट बेहद घाटे में संचालित हैं। यही नही इनको प्रमोशनल और रियाती किराये वाली फ्लाइटों को चलवाने के बाबजूद फायदे में लाए जाने की कोई संभावना नहीं है। वहीं आगरा में इसके लिये पर्याप्त संभावनाएं विद्यमान हैं।भारत सरकार की प्रमुख सर्वे कंपनी रॉयट्रस तक की रिपोर्ट आगरा के पक्ष में ही रही है ।