300 शिल्पियों के आने की उम्मीद
ताजमहोत्सव में हर साल दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश समेत देश के तमाम राज्यों से शिल्पी आकर अपने स्टॉल लगाते हैं। इस बार करीब 300 शिल्पियों के आने की उम्मीद है।
ताजमहोत्सव में हर साल दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश समेत देश के तमाम राज्यों से शिल्पी आकर अपने स्टॉल लगाते हैं। इस बार करीब 300 शिल्पियों के आने की उम्मीद है।
ये होगा मुख्य आकर्षण
ताज महोत्सव में इस बार फिरोजाबाद का कांच वर्क, पंजाब की फुलकारी, सहारनपुर का वुड क्राफ्ट, फरीदाबाद का टेराकोटा, वेस्ट बंगाल की कान्था साड़ी, वाराणसी की सिल्क साड़ी, कश्मीर का सूट एवं पशमीना शॉल, भदोही का कारपेट, लखनऊ का चिकन क्लॉथ, बागपत का हैण्डलूम, प्रतापगढ़ का आंवला उत्पाद, बिहार का सिल्क क्लॉथ, असम का केन फर्नीचर, गुजरात का सूट एवं शॉल, पिलखुआ की चादर, खुर्जा की पॉटरी और हाथरस की ग्लासवीट ज्वैलरी लोगों को आकर्षित करेंगे।
ताज महोत्सव में इस बार फिरोजाबाद का कांच वर्क, पंजाब की फुलकारी, सहारनपुर का वुड क्राफ्ट, फरीदाबाद का टेराकोटा, वेस्ट बंगाल की कान्था साड़ी, वाराणसी की सिल्क साड़ी, कश्मीर का सूट एवं पशमीना शॉल, भदोही का कारपेट, लखनऊ का चिकन क्लॉथ, बागपत का हैण्डलूम, प्रतापगढ़ का आंवला उत्पाद, बिहार का सिल्क क्लॉथ, असम का केन फर्नीचर, गुजरात का सूट एवं शॉल, पिलखुआ की चादर, खुर्जा की पॉटरी और हाथरस की ग्लासवीट ज्वैलरी लोगों को आकर्षित करेंगे।
देश की संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देना उद्देश्य
बता दें कि हर साल 18 से 27 फरवरी के बीच लगने वाले ताज महोत्सव का उद्देश्य ही देश की संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इसके लिए महोत्सव में परम्परागत शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और लोक कला को प्रदर्शित किया जाता है। साथ ही देश के कोने कोने से आए शिल्पियों की कला को बढ़ावा दिया जाता है।
बता दें कि हर साल 18 से 27 फरवरी के बीच लगने वाले ताज महोत्सव का उद्देश्य ही देश की संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इसके लिए महोत्सव में परम्परागत शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और लोक कला को प्रदर्शित किया जाता है। साथ ही देश के कोने कोने से आए शिल्पियों की कला को बढ़ावा दिया जाता है।