दरगाहे आला हजरत राष्ट्रगान के विरोध में मदरसों में राष्ट्रगान होने को लेकर दरगाहे आला हजरत की तरफ से कड़ा विरोध शुरू हो गया है।शहर काजी और जमात रज़ा मुस्तफा के राष्ट्रीय अध्यक्षता मौलाना शहाबुद्दीन ने बैठक कर घोषणा कर दी है कि पन्द्रह अगस्त को मदरसों में राष्ट्रगान नहीं होगा।शहर काजी असजद रजा खां ने कहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री ने आजादी के बाद पहली बार मदरसों पर पाबंदी लागू की है। उन्होंने कहा कि तमाम अन्य शिक्षा बोर्ड हैं किसी को आदेश नहीं दिया गया है केवल मदरसों को राष्ट्रगान गाने की हिदायत दी गयी है और वीडियोग्राफी कराने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रगाान अंग्रजों की तारीफ में लिखा गया था जिसका विरोध होना जरूरी है। इस गान के कवि रविन्द्र नाथ टैगोर थे जिन्होंने जार्ज पंचम के 1911 में भारत में आने पर लिखा था।
कल्याण सिंह भी नहीं थे असहमत वर्ष 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला दिया था जिसमें एक स्कूल द्वारा बच्चों के राष्ट्रगान न पढ़ने पर बर्खास्त कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि कुछ भी पढ़ने के लिए किसी पर जोर नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह भी इस मुद्दे पर सहमत नहीं थे और राष्ट्रगान को लेकर संशोधन के लिए कहा था।
अधिनायक शब्द पर आपत्ति उन्होंने कहा कि आखिर क्यों मुस्लमानों को ही राष्ट्रगान पढ़ने के लिए विवश किया जा रहा है। हमें आपत्ति यह है कि यह राष्ट्रगान अंग्रेजों की तारीफ में था हमें अधिनायक शब्द पर सख्त एतराज है इस मामले में उलेमाओं और मदरसों ने फैसला किया है कि राष्ट्रगान की जगह सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा तराना गाया जायेगा। शहर काजी ने कहा कि सरकार बेमुद्दों की बात में उलझा रही है और बेसिक जरूरतों पर ध्यान नहीं दे रही है। राष्ट्रगान के इतने साल बाद विरोध करने पर उन्होंने कहा कि इसके पहले हमारे ऊपर जबरदस्ती नहीं की गई थी।