दाऊदी के हुरंगे में ब्रज के हुरियारों पर हुरियारनों ने कोड़े बरसाए। कपड़े फाड़े।
बलदेव में ‘दाऊजी का हुरंगा’, हुरियारनों ने हुरियारों पर बरसाए कोड़े
ब्रज की होली का आज विशेष दिन है। जिस समय देश होली की खुमारी उतार रहा था उस समय बलदेव में ‘दाऊजी का हुरंगा’ हुआ। दाऊदी के हुरंगे में ब्रज के हुरियारों पर हुरियारनों ने कोड़े बरसाए। कपड़े फाड़े। यह ब्रज की होली में ही संभव हो सकता है, जहां हुरियारनें हुरियारों पर कोड़े बरसती हैं, प्रेम से पगी लाठियां बरसाती हैं फिर भी हुरियारे आनंदित होते हैं।
अबीर गुलाल के छाए बादल ब्रज में होली के रंग जारी हैं। आज श्री बलदाऊ की नगरी में बलदेव में हुरंगा हुआ। हुरंगा खलने के लिए देश विदेशे से श्रद्धालु जुटे थे। आसमान से फूलों और अबीर गुलाल की बरसात हो रही थी। मंदिर में अबीर गुलाल के बादल छा गए। इसके बाद हुरीयारनों ने हुरियारों के कपड़े फाड़कर कोड़े बरसाने शुरू कर दिए। टेसू के रंगों की लगातार बरसात होती रही। हुयारिनों ने भांग घोट कर दाऊजी महाराज का भोग लगाया। मंदिर में रसिया गायन हर किसी को आकर्षित कर रहा था।
मंदिर में उमड़ा सैलाब मंदिर प्रांगण श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा, पैर रखने को भी स्थान नहीं रहा। बलदाऊ महाराज और रेवती मैया के दर्शन करने को हर कोई बेताब था। समूचे बलदेब का आसमान रंगों से रंग गया।
क्या है हुरंगा बता दें कि बलदाऊ की नगरी बलदेव में हुरंगा की परंपरा पांच सौ वर्ष पुरानी है। श्री बलदाऊ के विग्रह की यहां प्रतिष्ठा 1582 में हुई थी। मंदिर में विग्रह के स्थापत्य काल में बलदाऊ में हुरंगा खेलने की परंपरा शुरू हुई। तभी से यह पंरपरा बदस्तूर जारी है। हुरियारने हुरंगों को रंगों से सराबोर करती हैं। उसके बाद उनके कपड़े फाड़कर, कोड़े बरसाती हैं। एक महिला पिटाई करती है फिर दूसरी महिला को हंटर दे देती है वह दूसरे व्यक्ति की पिटाई लगाती है।