ये है मामला
इंद्रापुरम के रहने वाले पप्पू को टीबी की बामारी थी, जिसके चलते सात नवंबर को उसे क्षय एवं वक्ष रोग विभाग में भर्ती कराया गया था। रविवार को पप्पू ने दम तोड़ दिया। पत्नी सीमा को भी टीबी है और वह भी इसी वार्ड में भर्ती है। पत्नी-पति के अलावा उनका कोई और परिजन नहीं था। पत्नी ने पड़ोसी सुरेश चंद्र और प्रताप सिंह को फोन कर बुलाया। शव का अंतिम संस्कार करवाने की गुहार लगाई, पड़ोसी आ तो गए, लेकिन वे भी बेबस नजर आए।
इंद्रापुरम के रहने वाले पप्पू को टीबी की बामारी थी, जिसके चलते सात नवंबर को उसे क्षय एवं वक्ष रोग विभाग में भर्ती कराया गया था। रविवार को पप्पू ने दम तोड़ दिया। पत्नी सीमा को भी टीबी है और वह भी इसी वार्ड में भर्ती है। पत्नी-पति के अलावा उनका कोई और परिजन नहीं था। पत्नी ने पड़ोसी सुरेश चंद्र और प्रताप सिंह को फोन कर बुलाया। शव का अंतिम संस्कार करवाने की गुहार लगाई, पड़ोसी आ तो गए, लेकिन वे भी बेबस नजर आए।
नहीं मिला वाहन
पड़ोसी प्रताप ने 108 एंबुलेंस पर फोन किया तो कहा गया कि ये सेवा शव ले जाने के लिए नहीं है। एसएन के एसआईसी को फोन मिलाया तो वह बंद आ रहा था। इसके बाद सीएमओ को फोन मिलाया। प्रताप के अनुसार, सीएमओ ने बताया कि ड्राइवर नहीं है, अभी घंटा भर लग जाएगा। दोबारा फोन लगाया तो कहा कि अभी और इंतजार करो। काफी देर होने पर भी वाहन नहीं आया तो दोनों पड़ोसी रिक्शे में लादकर शव को ले गए। पड़ोसी सुरेश चंद्र ने बताया कि पप्पू के घर में पत्नी के सिवाय कोई नहीं है। वह भी रिक्शा चलाकर परिवार का पेट भरते हैं, निजी वाहन के लिए उनके पास भी पैसे नहीं थे।
पड़ोसी प्रताप ने 108 एंबुलेंस पर फोन किया तो कहा गया कि ये सेवा शव ले जाने के लिए नहीं है। एसएन के एसआईसी को फोन मिलाया तो वह बंद आ रहा था। इसके बाद सीएमओ को फोन मिलाया। प्रताप के अनुसार, सीएमओ ने बताया कि ड्राइवर नहीं है, अभी घंटा भर लग जाएगा। दोबारा फोन लगाया तो कहा कि अभी और इंतजार करो। काफी देर होने पर भी वाहन नहीं आया तो दोनों पड़ोसी रिक्शे में लादकर शव को ले गए। पड़ोसी सुरेश चंद्र ने बताया कि पप्पू के घर में पत्नी के सिवाय कोई नहीं है। वह भी रिक्शा चलाकर परिवार का पेट भरते हैं, निजी वाहन के लिए उनके पास भी पैसे नहीं थे।
ये बोले सीएमओ
इस मामले में सीएमओ डॉ. मुकेश वत्स ने बताया कि फोन आया तो तीमारदार से कहा कि ड्राइवर को फोन कर दिया है, करीब घंटा भर लग जाएगा, लेकिन वह बहुत जल्दी में था। वाहन पहुंचने से पहले ही वह चला गया। वहीं एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा ने कहा कि शव वाहन उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा है। वैसे हमने अपने कॉलेज के लिए शव वाहन खरीदने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है।
इस मामले में सीएमओ डॉ. मुकेश वत्स ने बताया कि फोन आया तो तीमारदार से कहा कि ड्राइवर को फोन कर दिया है, करीब घंटा भर लग जाएगा, लेकिन वह बहुत जल्दी में था। वाहन पहुंचने से पहले ही वह चला गया। वहीं एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा ने कहा कि शव वाहन उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा है। वैसे हमने अपने कॉलेज के लिए शव वाहन खरीदने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है।