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बाचाराम ने डिफेंस सिक्योरिटी कोर ज्वाइन की इसके बाद वे पुणे में तैनात थे। बताया गया है कि 15 अगस्त को उन्हें आंत में इंफेक्शन हो गया। जिसके बाद उन्हें पुणे क कमांड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनका उपचार हुआ। लेकिन, दूसरे आॅपरेशन के बाद उनकी मृत्यु हो गई। सेना की यूनिट बाचाराम का तिरंगे में लिपटा शव लेकर पहुंची तो उनके अंतिम दर्शन को आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचे गए। घर के पास ही खेत में उनका अंतिम संस्कार किया गया। यहां पर उनकी यादों का स्मारक बनाने का निर्णय लिया गया, जिसमें उनकी वीरगाथा अंकित होगी।
बाचाराम ने डिफेंस सिक्योरिटी कोर ज्वाइन की इसके बाद वे पुणे में तैनात थे। बताया गया है कि 15 अगस्त को उन्हें आंत में इंफेक्शन हो गया। जिसके बाद उन्हें पुणे क कमांड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनका उपचार हुआ। लेकिन, दूसरे आॅपरेशन के बाद उनकी मृत्यु हो गई। सेना की यूनिट बाचाराम का तिरंगे में लिपटा शव लेकर पहुंची तो उनके अंतिम दर्शन को आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचे गए। घर के पास ही खेत में उनका अंतिम संस्कार किया गया। यहां पर उनकी यादों का स्मारक बनाने का निर्णय लिया गया, जिसमें उनकी वीरगाथा अंकित होगी।
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उनकी पत्नी मीरा ने बताया कि 28 अगस्त को फोन पर हुई थी। बाचाराम के पुत्र विपिन, भोला और पुत्री आरती हैं। बाचाराम के बड़े भाई शिवकुमार भी सेना में थे। बाचाराम के पुत्र और पुत्रियों ने सेना में जाकर देश सेवा करने का संकल्प लिया है।
उनकी पत्नी मीरा ने बताया कि 28 अगस्त को फोन पर हुई थी। बाचाराम के पुत्र विपिन, भोला और पुत्री आरती हैं। बाचाराम के बड़े भाई शिवकुमार भी सेना में थे। बाचाराम के पुत्र और पुत्रियों ने सेना में जाकर देश सेवा करने का संकल्प लिया है।