कर्फ्यू जैसे हालात थे
इकबाल मोहम्मद ने बताया एक साल के बाद भी हम वहीं के वहीं खड़े हैं बल्कि उससे भी बुरी स्थिति में हैं। तीन दिन तक लोग इस तरह से सामान खरीद रहे थे, जैसे कर्फ्यू लगा हुआ था। हमें दो दिन स्टोर बंद करना पड़ा। लोगों पर सामान खऱीदने के लिए पैसे नहीं थे। मेरे पास उस समय भी मशीनें थी और मैंने 10 रुपये तक स्वैप करके सामान दिया। उस वक्त अचानक कैश खत्म हो गया था और आज भी कैश की किल्लत है। कैशलैस के स्थान पर लैसकैश हो गया है। बंगलुरू में रेलवे स्टेशन तक पर नकदी मांगी जा रही है। आज सुबह मेरे पार एख महिला खरीदारी करने आई। मैंने उनसे बात की तो बेइंतहा तकलीफ थी उसे। कोई भी ग्राहक खुश नहीं है।
इकबाल मोहम्मद ने बताया एक साल के बाद भी हम वहीं के वहीं खड़े हैं बल्कि उससे भी बुरी स्थिति में हैं। तीन दिन तक लोग इस तरह से सामान खरीद रहे थे, जैसे कर्फ्यू लगा हुआ था। हमें दो दिन स्टोर बंद करना पड़ा। लोगों पर सामान खऱीदने के लिए पैसे नहीं थे। मेरे पास उस समय भी मशीनें थी और मैंने 10 रुपये तक स्वैप करके सामान दिया। उस वक्त अचानक कैश खत्म हो गया था और आज भी कैश की किल्लत है। कैशलैस के स्थान पर लैसकैश हो गया है। बंगलुरू में रेलवे स्टेशन तक पर नकदी मांगी जा रही है। आज सुबह मेरे पार एख महिला खरीदारी करने आई। मैंने उनसे बात की तो बेइंतहा तकलीफ थी उसे। कोई भी ग्राहक खुश नहीं है।
डिजिटल भुगतान लेने पर पैसा काटा जा रहा
उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान शुरू हुआ है, लेकिन सरकार व्यापारियों को कोई सहूलियत नहीं दे रही है। हमसे हर भुगतान पर पैसे काटे जा रहे हैं और मशीनों का किराया लिया जा रहा है। चाइना के पेटीएम से भुगतान पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं है, लेकिन जो हमारा भारतीय कार्ड हैं और स्वैप मशीनें हैं, उन पर चार्ज लग रहा है। हमें 1.5 फीसदी भुगतान बैंक को देना होता है। हमारे खाते में पैसा एक दिन बाद आता है। इसका समाधान ये है कि जहां भी स्वैप मशीन लगी हैं, वे फ्री हों, डिजिटल भुगतान पर कोई चार्ज न लिया जाए।
उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान शुरू हुआ है, लेकिन सरकार व्यापारियों को कोई सहूलियत नहीं दे रही है। हमसे हर भुगतान पर पैसे काटे जा रहे हैं और मशीनों का किराया लिया जा रहा है। चाइना के पेटीएम से भुगतान पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं है, लेकिन जो हमारा भारतीय कार्ड हैं और स्वैप मशीनें हैं, उन पर चार्ज लग रहा है। हमें 1.5 फीसदी भुगतान बैंक को देना होता है। हमारे खाते में पैसा एक दिन बाद आता है। इसका समाधान ये है कि जहां भी स्वैप मशीन लगी हैं, वे फ्री हों, डिजिटल भुगतान पर कोई चार्ज न लिया जाए।
2000 के नोट से समस्या
ग्राहक आंचल ने बताया कि नोटबंदी एक साल पहले हुई थी। दो हजार के नोट से पहले और अब भी दिक्कत है। दो हजार का चेंज कहां से लेकर आएं। एटीएम से खुले पैसे नहीं मिल रहे हैं। शीला चौहान ने बताया कि नोटबंदी से पहले हम बचत कर लेते थे और अब नकदी का संकट होने के कारण पैसे नहीं बचा पा रहे हैं। काम तो चलता है, लेकिन इमरजेंसी के लिए हमारे पास कोई पैसा नहीं है।
ग्राहक आंचल ने बताया कि नोटबंदी एक साल पहले हुई थी। दो हजार के नोट से पहले और अब भी दिक्कत है। दो हजार का चेंज कहां से लेकर आएं। एटीएम से खुले पैसे नहीं मिल रहे हैं। शीला चौहान ने बताया कि नोटबंदी से पहले हम बचत कर लेते थे और अब नकदी का संकट होने के कारण पैसे नहीं बचा पा रहे हैं। काम तो चलता है, लेकिन इमरजेंसी के लिए हमारे पास कोई पैसा नहीं है।