महर्षि मेधा से जुड़ी है कहानी
कहा जाता है माता के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपनी देह त्याग दी थी। उनके शरीर का अंश भूमि में समा गया था। बाद में वही अंश चावल के रूप में भूमि से उत्पन्न हुआ। जब महर्षि की देह भूमि में समाई, उस दिन एकादशी का दिन था। तभी से ही यह परंपरा शुरू हो गई कि एकादशी के दिन चावल और चावल से बने भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन इन पदार्थों का सेवन महर्षि की देह के सेवन के समान माना गया है।
कहा जाता है माता के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपनी देह त्याग दी थी। उनके शरीर का अंश भूमि में समा गया था। बाद में वही अंश चावल के रूप में भूमि से उत्पन्न हुआ। जब महर्षि की देह भूमि में समाई, उस दिन एकादशी का दिन था। तभी से ही यह परंपरा शुरू हो गई कि एकादशी के दिन चावल और चावल से बने भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन इन पदार्थों का सेवन महर्षि की देह के सेवन के समान माना गया है।
वैज्ञानिक कारण भी जानें
दरअसल चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जल तत्व की अधिकता मन को विचलित कर सकती है, क्योंकि जल और चंद्रमा में परस्पर आकर्षण होता है। इसलिए एकादशी के दिन चावल का अधिक सेवन करने से यदि शरीर में जल तत्व की मात्रा बढेंगी तो मन अशांत महसूस करेगा। चूंकि एकादशी व्रत, संयम और साधना का दिन माना जाता है, ऐसे में अशांत मन से व्रत का पालन नहीं किया जा सकता।
दरअसल चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जल तत्व की अधिकता मन को विचलित कर सकती है, क्योंकि जल और चंद्रमा में परस्पर आकर्षण होता है। इसलिए एकादशी के दिन चावल का अधिक सेवन करने से यदि शरीर में जल तत्व की मात्रा बढेंगी तो मन अशांत महसूस करेगा। चूंकि एकादशी व्रत, संयम और साधना का दिन माना जाता है, ऐसे में अशांत मन से व्रत का पालन नहीं किया जा सकता।
इन चीजों का सेवन भी न करें
वैसे तो इस दिन भगवान विष्णु के व्रत का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो लोग व्रत नहीं रख सकते हैं वे इस दिन सात्विक जीवन जिएं। एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा खाने से परहेज करें। इसके अलावा झगड़ा, क्लेश न करें। झूठ न बोलें।
वैसे तो इस दिन भगवान विष्णु के व्रत का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो लोग व्रत नहीं रख सकते हैं वे इस दिन सात्विक जीवन जिएं। एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा खाने से परहेज करें। इसके अलावा झगड़ा, क्लेश न करें। झूठ न बोलें।