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सत्य, शील और सौन्दर्य ही श्रीराम का चरित्र, विश्व साहित्य का साश्वत सत्य हैं श्रीराम

locationआगराPublished: Oct 14, 2019 12:08:31 pm

आगरा साहित्य उत्सव में विश्व साहित्य में राम कथा विषय पर हुई चर्चा, श्रीराम को सम्पूर्ण विश्व का बताया

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आगरा। विश्व साहित्य का साश्वत सत्य हैं श्रीराम। श्रीराम न कभी इतिहास थे और न ही कभी होंगे। सुप्रीम कोर्ट बेशक श्रीराम के अस्तित्व के प्रमाण मांगे, लेकिन यह भारी विरोधाभास है कि वही सुप्रीम कोर्ट रावण दहन पर दशहरा और श्रीराम के अयोध्या लौटने पर दीपावली की छुट्टी भी रखता है। श्रीराम के अस्तित्व के विश्व में फैले प्रमाणों से लेकर रामचरित मानस और उनके चरित्र पर गम्भीर चर्चा हुई। मौका था आगरा कॉलेज ग्राउंड में आयोजित आगरा साहित्य उत्सव का, जहां आज विश्व साहित्य में राम कथा विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया।
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किया गया शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर किया। मुख्य अतिथि श्रीराम परिहार ने बताय राम ब्रह्म रुप में ही नहीं महामानव रुप मे भी सम्पुर्ण विश्व में व्याप्त हैं। महंत योगेशपुरी ने कहा राम सिर्फ हम भारतीयों के ही नहीं संपूर्ण विश्व के हैं। डॉ. भारती सिंह ने कहा कि तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के माध्यम से मुक्ति का मार्ग दिखाया। तुलसीदास जी अकबर से भी महान थे। डॉ. सरोज गुप्ता हम हर वर्ष रावण जलाते हैं। लेकिन वास्तिवकता में रावण तब मरेगा जब हम अपने आचरण और मन में बैठाएंगे। जो सुप्रीम कोर्ट राम के अस्तित्व के प्रमाण मांगता है, वही दशहरा और दीपावली पर छुट्टी भी रखता है।
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राम को जानना बेहद जरूरी
डॉ. करुणा पाण्डे ने श्रीराम को साश्वत सत्य बाते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को राम को जानना बहुत जरूरी है। डॉ. भारती सिंह राम चरित्र के तीन मुख्य बिंदु सत्य शील और सौंदर्य जीवन में सकारत्मक के साथ धारण करना चाहिए जो समाज और स्वयं के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सरोज गुप्ता ने कहा रावण जलाने के साथ श्रीराम के आचरण को अपने जीवन में लाएं। संचालन दीपक सरीन ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से मुख्य संयोजक अमी आधार निडर, संयोजक नीतू चौधरी, सर्वज्ञशेखर गुप्ता, अरविन्द इंदौलिया, नितेश जैन, आगरा साहित्य उत्सव न्यास की ओर से श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव, संदीप श्रीवास्तव एडवोकेट, डा. अरूणा गुप्ता, डा. महेश भार्गव, आगरा लिटरेचर क्लब कार्यसमिति सदस्य डा. पीयूष जैन, कांची सिंघल, पूनम जाकिर, डा. रचना सिंह रश्मि, डा. शैलेन्द्र नरवार, डा. दीपा गोस्वामी आदि मौजूद थीं।
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