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वकीलों ने बताई ऐसी बात कि DM रह गए दंग, बना दी कमेटी, हर माह होगी समीक्षा

locationआगराPublished: Aug 17, 2019 04:04:22 pm

-एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी डीएम से मिले
-कुछ संगठन न्यायिक कार्य में बाधा डाल रहे हैं, इस कारण समस्या
-बना ठोस कारण के पीठासीन अधिकारी न्यायिक कार्य नहीं कर रहे

DM agra

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आगरा। एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन आगरा ने जिलाधिकारी (DM Agra) एनजी रविकुमार (NG ravikumar) को कुछ ऐसी बातें बताईं कि वे दंग रह गए। उन्होंने तत्काल एक कमेटी का गठन कर दिया। यह कमेटी हर माह समीक्षा करेगी। मामलों का निस्तारण करेगी।
शीघ्र व सुलभ न्याय व्यवस्था के खिलाफ काम

कलक्ट्रेट परिसर में अनेक न्यायालय हैं। कई संगठन ऐसे हैं जो न्यायिक कार्य में बाधा डालने के लिए कोई न कोई रास्ता निकालते रहते हैं। आमतौर पर कभी हड़ताल तो कभी कंडोलेंस का सहारा लेते हैं। बेवजह के कारणों या किसी भी सूचना पर न्यायालयों के अधिकारी और कर्मचारी स्वतः कार्य करना बंद कर देते हैं। इससे न्यायिक कार्य के लिए आने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खर्चा होता है वह अलग। जो अधिवक्ता काम करने चाहते हैं, उनके सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। भारतीय संविधान में शीघ्र व सुलभ न्याय की व्यवस्था, जिसके खिलाफ काम होता है।
shailraj singh
क्या है मांग

एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन आगरा के संरक्षक कुंवर शैलराज सिंह ने बताया कि गत दिवस जिलाधिकारी को इस बारे में जानकारी दी गई। उन्हें उदाहरण देकर बताया कि किस तरह से न्यायिक कार्य को बाधित किया जा रहा है। जिलाधिकारी से मांग की गई है कि किसी भी गम्भीर प्रकरण में जब तक संयुक्त निर्णय न ले लिया जाए, तब तक पीठासीन अधिकारी व कर्मचारी न्यायिक कार्य करते रहें। किसी भी सूरत में न्यायिक कार्य न रोका जाए।
DM agra
लेखपाल नहीं कर रहे अपना काम

पीठासीन अधिकारी शासन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार मुकदमों का निस्तारण करें। उत्तर प्रदेश रेवेन्यू कोर्ट मैनुअल के अनुसार 15 दिन के अंदर आदेश पारित किया जाना जरूरी है। अति महत्व व जनहित के प्रार्थनापत्रों को शीघ्र निस्तारित कराया जाए। राज्य सरकार के जनहित गारंटी अधिनियम 2011 का अनुपालन हो। उत्तर प्रदेश राज्य संहिता 2006 व उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियमावली 2016 का विधिवत पालन हो। विभिन्न राजस्व न्यायालयों में वर्षों से राज्य सरकार द्वारा अपना पक्ष या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। इस कारण वादों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनका शीघ्र निस्ताण हो। आगरा महानगर में लेखपालों द्वारा नियमित रूप से खतौनी तैयार नहीं की जा रही है और न ही अभिलेखागार में दाखिल की जा रही है। आयुध अधिनियम 1959 के अधीन बनी नई आयुध नियमावली 2016 में शस्त्रों की स्वीकृति, नवीनीकरण, डुप्लीकेट आदि की फीस अधिनियम के अनुसार ली जाए।
ये हैं कमेटी में

जिलाधिकारी एनजी रविकुमार ने इन मामलों के निस्तारण के लिए एक कमेटी गठित कर दी है। इसमें अपर जिलाधिकारी नगर केपी सिंह, जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) अशोक चौबे, एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष टीपी सिंह चौहान,संरक्षक कुंवर शैलराज सिंह, महासचिव दिनेश चंद शर्मा, कोषाध्यक्ष भगत सिंह राका, सचिव मुनेन्द्र जादौन और रवि चौबे को रखा गया है। यह कमेटी उक्त मामलों का निस्तारण करेगी। माह में एक बार सभी समस्याओं की समीक्षा करेगी। हड़ताल और शोकसभा पर दीवानी न्यायालय द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। इस मौके पर गिरीश कटारा, विपिन तेहरिया, हीरेन्द्र गुप्ता, श्याम सुंदर शर्मा, सतीश शर्मा, रमेश त्यागी, अभिषेक कोटिया, ईश्वरी प्रसाद, प्रदीप राठौर, जगवीर सिंह आदि भी मौजूद थे।

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