आगरा

ग्रह-नक्षत्र और राशि के अनुसार करें दान, नहीं तो फंस सकते हैं ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा के चक्र में

दुनिया के सभी धर्म और सम्प्रदाय किसी न किसी रूप में दान के अलग-अलग माहात्म्य बताते हैं, ध्यान दें कि दान के लिए अलग-अलग ग्रहों के लिए अलग-अलग पदार्थ निर्धारित हैं।

आगराNov 28, 2018 / 02:27 pm

अमित शर्मा

मुंशी प्रेमचंद ने अपनी एक कहानी में ऐसे विपन्न परिवार का ज़िक्र किया था, जिसके मुखिया की मृत्यु हो जाने पर उसे मृत्युभोज का आयोजन बेहद महंगा कर्ज़ लेकर भी करना पड़ा। इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि उसकी पूरी पीढ़ी कर्ज़ के मकड़जाल में उलझकर दासत्व का शिकार हो गयी। महाजनी व्यवस्था में परंपरा का निर्वाह करने की बाध्यता लोगों की पूरी जिंदगी उलझाकर रख देती है।
खैर ये तो हुई परंपरा और रीति-रिवाज़ों की बात, जहां पर सामाजिक नियम इतने कठोर होते हैं कि शायद ही कोई इनके निर्वाह से बच सके। किंतु यहां पर हमारा उद्देश्य दान के विविध पहलुओं का उल्लेख करना है। दुनिया के सभी धर्म और सम्प्रदाय किसी न किसी रूप में दान के अलग-अलग माहात्म्य बताते हैं।
सनातन धर्म में दान पर कई आख्यान लिखे गए हैं तथा सुपात्र-कुपात्र, दान का महत्व, उद्देश्य के साथ ही पूरी नियमावली का भी सृजन किया गया है। उपरोक्त कहानी का इससे संदर्भ ये है कि परंपरा के निर्वाह की तरह दान कब और किन परिस्थितियों में किया जाना चाहिए अन्यथा की स्थिति में ये बेवजह की समस्या बन सकती है।
सबसे पहले ये ध्यान रहे कि दान का मुख्य संबंध ग्रहीय दोषों के निवारण से है। यानि नक्षत्रशास्त्र के विविध उपांगों में दानोपचार की विधि का विस्तृत उल्लेख मिलता है। ध्यान दें कि अलग-अलग ग्रहों के लिए अलग-अलग पदार्थ निर्धारित हैं। जैसे काली उड़द का कारक राहु है, स्वर्ण का कारक बृहस्पति, गेहूं का कारक सूर्य आदि। अब यदि जन्म चक्र में किसी ग्रह विशेष की स्थिति उस जातक के लिए नकारात्मक है तो संबंधित पदार्थ का पर्याप्त अनुशंसित मात्रा में दान उस ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा का परिष्करण कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
इसके साथ ही ये तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि दान के लिए सुपात्र कौन? तो इसके लिए तामसिक-राजसिक वृत्ति के मनुष्य को दान करने से निषेध है। ग्रह विशेष की नकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण दान को वही व्यक्ति बर्दाश्त कर सकता है, जिसकी प्रवृत्ति सात्विक हो। इसीलिए सुपात्र के चयन में बेहद सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। ऐसा न करने पर दान देने वाले व्यक्ति से ग्रहों के क्रूर व पापी प्रभाव दान लेने वाले व्यक्ति पर आ जाते हैं।
इसके अलावा दान के लिए संदर्भ बिंदु भी बहुत निश्चित हैं। यानि यदि कोई व्यक्ति अपनी आजीविका चला पाने में भी अक्षम हो तो ऐसे व्यक्ति से दान कराने का अर्थ है उसे पहले से भी बड़ी समस्या में पहुंचा देना। हां, इसके लिए उस व्यक्ति से प्रतीकात्मक दान की अपेक्षा की जा सकती है, जिससे ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा के चक्र से उसे सुरक्षा मिल सके।

Home / Agra / ग्रह-नक्षत्र और राशि के अनुसार करें दान, नहीं तो फंस सकते हैं ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा के चक्र में

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.