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दिवाली पर अगर दाईं सूंड वाले गणपति ला रहे हैं तो इन नियमों का विशेष ध्यान रखें

locationआगराPublished: Oct 10, 2017 10:34:14 am

Submitted by:

suchita mishra

ज्योतिषाचार्य डॉ. अरबिंद मिश्र ने बताया दाईं और बाईं सूंड वाले गणपति की मूर्ति का अंतर और पूजा विधि के नियम।

Diwali 2017

Diwali 2017

दिवाली आने में बस कुछ ही समय शेष है। इस दिन पूजा के लिए सभी लोग घर में गणेश—लक्ष्मी की नई मूर्ति लाकर स्थापित करते हैं। बाजार में ज्यादातर बाईं ओर सूंड वाली गणपति की मूर्तियां बिकती हैं। वैसे तो पूजा के लिए भगवान की कोई भी मूर्ति शुभ ही मानी जाती है, लेकिन ज्योतिषाचार्य डॉ. अरबिंद मिश्र का कहना है, कि दाईं सूंड वाली गणपति की मूर्ति अगर मिल जाए तो अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन इसकी पूजा नियम के साथ की जानी चाहिए। जानिए क्या अंतर है दाईं और बाईं ओर सूंड वाले गणपति में—
दाई सूंड वाले गणपति
दाईं सूंड वाले गणपति को जागृत माना जाता है। इसे दक्षिणाभिमुखी मूर्ति भी कहा जाता है। दाईं बाजू सूर्य नाड़ी की है। वह यमलोक का आसानी से सामना कर सकती है। यानी इनके घर में रहने से अकाल मृत्यु घर में नहीं होती। इसके अलावा दाईं भुजा को बाईं के मुकाबले ज्यादा सशक्त माना जाता है। यदि इस मूर्ति की पूजा पूरे विधि विधान से की जाए तो घर के सारे संकट, बाधाएं टल जाते हैं और सुख समृद्धि घर में आती है। ले
पूजा में ये नियम जरूरी
दाईं सूंड वाले गणपति की पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इनकी पूजा के समय सूती वस्त्र नहीं पहने जाते, रेशमी वस्त्रों में पूजा की जाती है। पूजा करने वाले पुरुष को जनेउ धारण कर उपवास रखना होता है। उपवास के दौरान किसी के घर का खाना नहीं खाया जाता है।
वाममुखी गणपति
जिन गणपति की सूंड बांईं ओर मुड़ी हो उन्हें वाममुखी कहा जाता है। सामान्यत: बाजार में ऐसी ही मूर्तियां बिकती हैं। बाईं ओर चंद्रमा का वास होता है जो शीतलता प्रदान करता है। इसलिए इन गणपति के पूजन में किसी विशेष कर्मकांड की जरूरत नहीं होती। ये शीघ्र प्रसन्न होते हैं और तुरंत माफ कर देते हैं। ज्यादातर गृहस्थ जीवन में इनकी ही स्थापना की जाती है। इनकी पूजा सामान्य रूप से धूप, दीप, नैवेद्य, प्रसाद, फल, फूल चढ़ाकर की जाती है।
न लें खड़ी मूर्ति
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि मूर्ति कोई भी लें लेकिन खड़ी प्रतिमा से परहेज करें क्योंकि खड़ी प्रतिमा चलायमान मानी जाती है। जबकि बैठी प्रतिमा स्थिर भाव से बैठकर विराजमान होने वाली मानी जाती हैं। यदि घर में गणपति विराजमान होंगे तो परिवार में सुख समृद्धि बनी रहेगी।

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