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बौद्ध बिहार चक्कीपाट के भदंत ज्ञान रत्न ने बताया कि 18 मार्च 1956 को रामलीला मैदान में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा था- ‘अगर मैं आगरा के लोगों की भावनाओं को पहले समझ लेता तो बहुत पहले ही बौद्ध धर्म ग्रहण कर लेता, लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। इस छुआछूत और जातिवाद के खात्मे को बौद्ध धर्म ग्रहण करूंगा…..’ आगरा से जाने के बाद उन्होंने नागपुर (महाराष्ट्र) में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। उन्होंने धर्म परिवर्तन की नींव आगरा में डाली थी।
बौद्ध बिहार चक्कीपाट के भदंत ज्ञान रत्न ने बताया कि 18 मार्च 1956 को रामलीला मैदान में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा था- ‘अगर मैं आगरा के लोगों की भावनाओं को पहले समझ लेता तो बहुत पहले ही बौद्ध धर्म ग्रहण कर लेता, लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। इस छुआछूत और जातिवाद के खात्मे को बौद्ध धर्म ग्रहण करूंगा…..’ आगरा से जाने के बाद उन्होंने नागपुर (महाराष्ट्र) में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। उन्होंने धर्म परिवर्तन की नींव आगरा में डाली थी।
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रामलीला मैदान, आगरा में सभा करने के बाद बाबा साहब ने चक्कीपाट में तथागत महात्मा बुद्ध की प्रतिमा अपने हाथों से स्थापित की। मूर्ति आज भी पूर्वोदय बुद्ध विहार में देखी जा सकती है। जुलाई 1957 को बौद्ध भिक्षु कौडिन्य ने आगरा आकर विशाल बुद्ध विहार का निर्माण कराया। सन 1967 में इसकी देखभाल के लिए बुद्ध विहार प्रबंध समिति बनाई गई, जो वर्तमान में भी इसकी देखरेख का जिम्मा संभाल रही है।
रामलीला मैदान, आगरा में सभा करने के बाद बाबा साहब ने चक्कीपाट में तथागत महात्मा बुद्ध की प्रतिमा अपने हाथों से स्थापित की। मूर्ति आज भी पूर्वोदय बुद्ध विहार में देखी जा सकती है। जुलाई 1957 को बौद्ध भिक्षु कौडिन्य ने आगरा आकर विशाल बुद्ध विहार का निर्माण कराया। सन 1967 में इसकी देखभाल के लिए बुद्ध विहार प्रबंध समिति बनाई गई, जो वर्तमान में भी इसकी देखरेख का जिम्मा संभाल रही है।