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Menopause के बाद भी ऐसे जिएं बिंदास जिंदगी

locationआगराPublished: Jul 08, 2017 09:19:00 am

Submitted by:

Bhanu Pratap

मीनोपॉज के दौरान महिला में होने वाले बदलाव का असर झेलता है पूरा परिवार, ब्रिटिश मीनोपॉज सोसायटी में डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने प्रस्तुत की रिपोर्ट।

Dr jaideep malhotra

Dr jaideep malhotra

आगरा। साउथ एशिया मीनोपॉज सोसायटी की प्रेसीडेंट इलेक्ट व इंडियन मीनोपॉज सोसायटी की पूर्व अध्यक्ष डॉ जयदीप मल्होत्रा को ब्रिटिश मीनोपॉज सोसायटी की कांफ्रेंस में आमंत्रित किया गया। 5 और 6 जुलाई को वारविक में हुई कांफ्रेंस में रेनबो ह़ॉस्पिटल की निदेशक डॉ. जयदीप ने मीनोपॉज में हार्मोन थैरपी पर रिपोर्ट पेश की। वे भारत की तरफ से एकमात्र स्पीकर के रूप में शामिल थीं। भारत से कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए सात डॉक्टरों को आमंत्रित किया गया।



मीनोपॉज के दौरान बदलाव
डॉ. जयदीप ने बताया कि मात्र 5 फीसदी महिलाएं ही मीनोपॉज के दौरान डॉक्टर से सम्पर्क करती हैं। यानि लगभग 95 फीसदी महिलाएं मीनोपॉज के दौरान होने वाले प्रतिकूल बदलावों के साथ लगभग एक तिहाई जिंदगी गुजार देती हैं, जिसका असर (चिड़चिड़ापन, नींद न आना, याद्दाश्त कमजोर आदि) परिवार के अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है। 



40 के बाद योग करें, एरोबिक नहीं
डॉ. जयदीप ने बताया हार्मोन थैरपी के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि आज ऐसे कई साधन हैं, जिससे मीनोपॉज के दौरान होने वाले प्रतिकूल बदलाव के प्रभाव को कम कर महिलाएं 40 की उम्र के बाद भी बिंदास जिंदगी जी सकतीं हैं। उन्होंने सलाह दी की 40 की उम्र के बाद एरोबिक के बजाय योग करें और मीनोपॉज के बाद बिंदास जिंदगी जीने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 40 के बाद महिलाओं की जिंदगी खत्म नहीं होती, बल्कि एक नया अध्याय शुरू होता है।

Dr jaideep malhotra

मीनोपॉज के हार्मोन असंतुलन के कारण होने वाले बदलाव
-चिड़चिड़ापन बढ़ जाना।
-नींद न आना।
-याद्दाश्त कमजोर होना।
-हड्डियों का कमजोर होना, बाल अधिक झड़ना।
-देखने व चबाने में दिक्कत महसूस होना।
-एजिंग का बढ़ना।

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